05-05-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त बापदादा'' रिवाइज:28-01-76 मधुबन
रूहानी सितारों की महफिल
दूसरी मुरली - 01-02-76
रूहानी शमा और तीन प्रकार के रूहानी परवाने
वरदान:- ज्ञान स्वरूप बन कर्म फिलासॉफी को पहचान कर चलने वाले कर्मबन्धन मुक्त भव
कई बच्चे जोश में आकर सब कुछ छोड़ किनारा कर तन से अलग हो जाते लेकिन मन का हिसाब-किताब
स्लोगन:- अपने स्वमान की सीट पर सेट रहो तो माया आपके आगे सरेन्डर हो जायेगी।
रूहानी सितारों की महफिल
दूसरी मुरली - 01-02-76
रूहानी शमा और तीन प्रकार के रूहानी परवाने
वरदान:- ज्ञान स्वरूप बन कर्म फिलासॉफी को पहचान कर चलने वाले कर्मबन्धन मुक्त भव
कई बच्चे जोश में आकर सब कुछ छोड़ किनारा कर तन से अलग हो जाते लेकिन मन का हिसाब-किताब
होने के कारण खींचता रहता है। बुद्धि जाती रहती है, यह भी एक बड़ा विघ्न बन जाता है इसलिए कोई
से किनारा भी करना है तो पहले निमित्त आत्माओं से वेरीफाय कराओ क्योंकि यह कर्मो की फिलॉसाफी है।
जबरदस्ती तोड़ने से मन बार-बार जाता रहता है। तो ज्ञान स्वरूप होकर कर्म फिलॉसाफी को पहचानो और
वेरीफाय कराओ तो सहज कर्मबन्धन से मुक्त हो जायेंगे।
स्लोगन:- अपने स्वमान की सीट पर सेट रहो तो माया आपके आगे सरेन्डर हो जायेगी।