मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-शिवबाबा निष्काम नम्बरवन ट्रस्टी है, उसे तुम अपना पुराना बैग-बैगेज
प्रश्न:- बाप को किन बच्चों की हर प्रकार से सम्भाल करनी पड़ती है?
उत्तर:- जो निश्चयबुद्धि बन अपना पूरा-पूरा समाचार बाप को देते हैं, बाप से हर कदम पर डायरेक्शन
गीत:- दर पर आये हैं....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी का भी अवगुण नहीं देखना है। एक शिवबाबा से कनेक्शन रख उनकी जो श्रीमत मिलती है
2) अपने तन-मन-धन को पूरा इन्श्योर करना है। कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है। पढ़ाई पर भी पूरा
वरदान:- सेवा को बाप के आगे बुद्धि से अर्पण कर स्वयं निश्चिंत रहने वाले सफलता स्वरूप भव
कोई कैसी भी मुश्किल सेवा हो लेकिन उस सेवा को बाप के आगे बुद्धि से अर्पण कर दो। मैंने किया,
स्लोगन:- ब्राह्मण कुल के दीपक वही बन सकते जिनके स्मृति की ज्योति सदा जगी हुई है।
ट्रान्सफर कर दो तो सतयुग में तुम्हें सब नया मिल जायेगा''
प्रश्न:- बाप को किन बच्चों की हर प्रकार से सम्भाल करनी पड़ती है?
उत्तर:- जो निश्चयबुद्धि बन अपना पूरा-पूरा समाचार बाप को देते हैं, बाप से हर कदम पर डायरेक्शन
लेते हैं-ऐसे बच्चों का बाप को बहुत ख्याल रहता है। बाबा कहते-मीठे बच्चे, कभी भी श्रीमत में संशय
नहीं आना चाहिए। संशय में आया तो माया बहुत नुकसान कर देगी। तुम्हें लायक बनने नहीं देगी।
गीत:- दर पर आये हैं....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) किसी का भी अवगुण नहीं देखना है। एक शिवबाबा से कनेक्शन रख उनकी जो श्रीमत मिलती है
उसे राइट समझ चलते रहना है। श्रीमत में कभी संशय नहीं उठाना है।
2) अपने तन-मन-धन को पूरा इन्श्योर करना है। कदम-कदम पर श्रीमत लेनी है। पढ़ाई पर भी पूरा
ध्यान देना है।
वरदान:- सेवा को बाप के आगे बुद्धि से अर्पण कर स्वयं निश्चिंत रहने वाले सफलता स्वरूप भव
कोई कैसी भी मुश्किल सेवा हो लेकिन उस सेवा को बाप के आगे बुद्धि से अर्पण कर दो। मैंने किया,
सफलता नहीं हुई, यह मैं-पन नहीं लाओ। बाप की सेवा है, बाप अवश्य करेगा, बाप को आगे रखो तो
सदा निश्चिंत रहेंगे और सफलता भी मिलेगी। कभी कमजोर संकल्प का बीज नहीं डालो, यह नहीं सोचो
कि सेवा तो कर रहे हैं लेकिन बाप की मदद तो मिलती नहीं, शायद मैं योग्य नहीं हूँ, यह भी व्यर्थ संकल्प
हैं जो सफलता को दूर कर देते हैं।
स्लोगन:- ब्राह्मण कुल के दीपक वही बन सकते जिनके स्मृति की ज्योति सदा जगी हुई है।