Tuesday, May 14, 2013

Murli [14-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-आधाकल्प से माया ने तुम्हें श्रापित किया है, अब बाप तुम्हारे सब श्राप 
मिटाकर वर्सा देने आये हैं, तुम श्रीमत पर चलो तो वर्से के लायक बन जायेंगे।'' 

प्रश्न:- देही-अभिमानी बनने का यथार्थ रहस्य तुम बच्चों ने क्या समझा है? 
उत्तर:- पुरानी दुनिया से मरकर बाप का बनना अर्थात् मरजीवा बनना ही देही-अभिमानी बनना है। 
इस पुरानी जुत्ती को भूल बाप समान अशरीरी बन बाप को याद करो-यही है देही-अभिमानी बनने 
का यथार्थ रहस्य। 

गीत:- ओम् नमो शिवाए.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप को याद कर, बाबा की श्रीमत पर चल पूरा माया के श्राप से मुक्त होना है। 

2) देह का भान छोड़ अशरीरी बनना है, पुरानी दुनिया से ममत्व मिटा देना है। 

वरदान:- समानता की भावना होते भी हर कदम में विशेषता का अनुभव कराने वाले विशेष आत्मा भव 

हर बच्चे में अपनी-अपनी विशेषतायें हैं। विशेष आत्माओं का कर्म साधारण आत्माओं से भिन्न है। 
हर एक में भावना तो समानता की रखनी है लेकिन दिखाई दे कि यह विशेष आत्मायें हैं। विशेष 
आत्मायें अर्थात् विशेष करने वाली, सिर्फ कहने वाली नहीं। उनसे सबको फीलिंग आयेगी कि 
यह स्नेह के भण्डार हैं, हर कदम में, हर नज़र में स्नेह अनुभव हो - यही तो विशेषता है। 

स्लोगन:- सृष्टि की कयामत के पहले अपनी कमियों और कमजोरियों की कयामत करो।