Saturday, May 25, 2013

Murli [25-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-चलते-फिरते विचार सागर मंथन करो, यह ज्ञान मंथन ही बुद्धि का भोजन है, 
विचार कर सर्विस की नई-नई युक्तियां निकालो'' 

प्रश्न:- ज्ञान अमृत धारण करने वा कराने की शक्ति किन बच्चों में आती है? 
उत्तर:- जो बाप का बनते ही पवित्रता की पक्की प्रतिज्ञा करते हैं। बाबा कहते-बच्चे, याद रखना अगर 
इतना सुनते भी पवित्र नहीं बनेंगे तो बुद्धि का ताला बन्द हो जायेगा। एक कान से सुनेंगे, दूसरे से निकल 
जायेगा। बाप का बने हो तो गन्दगी को निकाल दो। उल्टा कर्म किया तो गला घुट जायेगा, ज्ञान सुना 
नहीं सकेंगे इसलिए सावधान! 

गीत:- तूने रात गँवाई.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कर्मयोगी बनकर रहना है। कर्म करते भी बाप को याद कर सतोप्रधान बनने का पुरुषार्थ करना है। 

2) अपनी हर चलन से बाप, टीचर, गुरू का शो करना है। ''हम घर जा रहे हैं''-इस स्मृति से सदा प्रफुल्लित रहना है। 

वरदान:- स्व-परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन के निमित्त बनने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव 

आप बच्चों ने स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने का कान्ट्रैक्ट लिया है। स्व-परिवर्तन ही विश्व 
परिवर्तन का आधार है। बिना स्व-परिवर्तन के कोई भी आत्मा प्रति कितनी भी मेहनत करो, 
परिवर्तन नहीं हो सकता क्योंकि आजकल के समय में सिर्फ सुनने से नहीं बदलते लेकिन देखने 
से बदलते हैं। कई बन्धन डालने वाले भी जीवन का परिवर्तन देखकर बदल जाते हैं। तो करके 
दिखाना, बदलकर दिखाना ही श्रेष्ठ सेवाधारी बनना है। 

स्लोगन:- समय, संकल्प और बोल की एनर्जी को वेस्ट से बेस्ट में चेंज कर दो तो शक्तिशाली बन जायेंगे।