मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-आत्म-अभिमानी भव, एक बाप की श्रीमत पर चलते रहो, तुम्हारा ऊंच कुल है,
प्रश्न:- शिव शक्ति पाण्डव सेना प्रति बाप का डायरेक्शन कौन-सा है?
उत्तर:- बाप का डायरेक्शन है-श्रीमत पर चल तुम इस भारत का बेड़ा पार करो। सर्व धर्मान् परित्यज...
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सबको सुख दे दैवी सम्प्रदाय का बनना है। आसुरी सम्प्रदाय वाला कोई भी कर्तव्य नहीं करना है।
2) आत्म-अभिमानी होकर रहना है। गृहस्थ व्यवहार में रहते एक बाप को ही याद करना है।
वरदान:- हर बात में कल्याण समझकर अचल, अडोल महावीर बनने वाले त्रिकालदर्शी भव
कोई भी बात एक काल की दृष्टि से नहीं देखो, त्रिकालदर्शी होकर देखो। क्यों, क्या के बजाए सदा यही
स्लोगन:- तपस्वी वह है जो श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकण्ड में न्यारा और प्यारा बन जाये।
तुम स्वदर्शन चक्रधारी बनो''
प्रश्न:- शिव शक्ति पाण्डव सेना प्रति बाप का डायरेक्शन कौन-सा है?
उत्तर:- बाप का डायरेक्शन है-श्रीमत पर चल तुम इस भारत का बेड़ा पार करो। सर्व धर्मान् परित्यज...
मामेकम् याद करो। पावन बनकर औरों को पावन बनाओ। तुम शिव शक्ति, पाण्डव सेना पवित्र बन अपने
तन-मन-धन से भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करो। तुम श्रीमत पर नानवायोलेन्स (अहिंसा) के बल से
भारत की सच्ची सेवा करो।
गीत:- ओम् नमो शिवाए....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सबको सुख दे दैवी सम्प्रदाय का बनना है। आसुरी सम्प्रदाय वाला कोई भी कर्तव्य नहीं करना है।
शिवालय की स्थापना में मददगार बनना है।
2) आत्म-अभिमानी होकर रहना है। गृहस्थ व्यवहार में रहते एक बाप को ही याद करना है।
योग अग्नि से अपने विकर्म दग्ध करने हैं।
वरदान:- हर बात में कल्याण समझकर अचल, अडोल महावीर बनने वाले त्रिकालदर्शी भव
कोई भी बात एक काल की दृष्टि से नहीं देखो, त्रिकालदर्शी होकर देखो। क्यों, क्या के बजाए सदा यही
संकल्प रहे कि जो रहा है उसमें कल्याण है। जो बाबा कहे वह करते चलो, फिर बाबा जाने बाबा का काम
जाने। जैसे बाबा चलाये वैसे चलो तो उसमें कल्याण भरा हुआ है। इस निश्चय से कभी डगमग नहीं होंगे।
संकल्प और स्वप्न में भी व्यर्थ संकल्प न आयें तब कहेंगे अचल, अडोल महावीर।
स्लोगन:- तपस्वी वह है जो श्रीमत के इशारे प्रमाण सेकण्ड में न्यारा और प्यारा बन जाये।