Friday, May 24, 2013

Murli [24-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-स्वयं की सम्भाल करने के लिए रोज़ दो बार ज्ञान स्नान करो। 
माया तुमसे भूलें कराती, बाप तुमको अभुल बनाते'' 

प्रश्न:- किस निश्चय वा पुरुषार्थ के आधार पर बाप की पूरी मदद मिलती है? 
उत्तर:- पहले पक्का निश्चय हो कि मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई। साथ-साथ पूरी 
बलि चढ़े अर्थात् ट्रस्टी बन प्यार से सेवा करे। तो ऐसे बच्चे को बाप की पूरी पूरी मदद 
मिलती है। 

गीत:- हमें उन राहों पर चलना है... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सच्ची कमाई करनी और सबको करानी है। परीक्षायें वा तूफान आते भी कर्मेन्द्रियों से 
कोई भूल नहीं करनी है। माया-जीत जगत-जीत बनना है। 

2) देवता बनने के लिए खान-पान की पूरी परहेज रखनी है। कोई भी अशुद्ध वस्तु नहीं खानी है। 
दो बारी ज्ञान स्नान जरूर करना है। 

वरदान:- स्वउन्नति का यथार्थ चश्मा पहन एक्जैम्पुल बनने वाले अलबेलेपन से मुक्त भव 

जो बच्चे स्वयं को सिर्फ विशाल दिमाग की नज़र से चेक करते हैं, उनका चश्मा अलबेलेपन का 
होता है, उन्हें यही दिखाई देता है कि जितना भी किया है उतना बहुत किया है। मैं इन-इन 
आत्माओं से अच्छा हूँ, थोड़ी बहुत कमी तो नामीग्रामी में भी है। लेकिन जो सच्ची दिल से 
स्वयं को चेक करते हैं उनका चश्मा यथार्थ स्वउन्नति का होने के कारण सिर्फ बाप और स्वयं 
को ही देखते, दूसरा, तीसरा क्या करता - यह नहीं देखते। मुझे बदलना है बस इसी धुन में रहते हैं, 
वह दूसरों के लिए एक्जैम्पल बन जाते हैं। 

स्लोगन:- हदों को सर्व वंश सहित समाप्त कर दो तो बेहद की बादशाही का नशा रहेगा।