Wednesday, May 29, 2013

Murli [29-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-इन ऑखों से जो कुछ देखते हो उसे भूलना है, सब शरीरधारियों 
को भूल अशरीरी बाप को याद करने का अभ्यास करो।'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों का मुख ज्ञान से मीठा होता, भक्ति से नहीं-क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि भक्ति में भगवान को सर्वव्यापी कह दिया है। सर्वव्यापी कहने से बाप और 
वर्से की बात खत्म हो गई है इसलिए वहाँ मुख मीठा नहीं हो सकता। अभी तुम बच्चे प्यार 
से बाबा कहते हो तो वर्सा याद आ जाता है, इसलिए ज्ञान से मुख मीठा हो जाता। दूसरा - 
भक्ति में खिलौनों से खेलते आये, परिचय ही नहीं था तो मुख मीठा कैसे हो। 

गीत:- ओम् नमो शिवाए... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ईश्वरीय मत पर एक दो को सुख देना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। बाप समान सुखदाता बनना है। 

2) इन शरीरों से मोह निकाल नष्टोमोहा बनना है। सपूत बच्चा बन निरन्तर बाप को याद करने का पुरुषार्थ करना है। 

वरदान:- निंदक को भी अपना मित्र समझ सम्मान देने वाले ब्रह्मा बाप समान मास्टर रचयिता भव 

जैसे ब्रह्मा बाप ने स्वयं को विश्व सेवाधारी समझ हर एक को सम्मान दिया, सदा मालेकम् सलाम किया। 
ऐसे कभी नहीं सोचा कि कोई सम्मान देवे तो मैं दूं। निदंक को भी अपना मित्र समझकर सम्मान दिया, 
ऐसे फॉलो फादर करो। सिर्फ सम्मान देने वाले को अपना नहीं समझो लेकिन गाली देने वाले को भी 
अपना समझ सम्मान दो क्योंकि सारी दुनिया ही आपका परिवार है। सर्व आत्माओं के तना आप 
ब्राह्मण हो इसलिए स्वयं को मास्टर रचयिता समझ सबको सम्मान दो तब देवता बनेंगे। 

स्लोगन:- माया को सदा के लिए विदाई देने वाले ही बाप की बधाईयों के पात्र बनते हैं।