Wednesday, May 22, 2013

Murli [22-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-ऊंची मत एक बाप की है, उसी पर सदा चलते रहो, 
मातेले बन बाप से पूरा-पूरा वर्सा लो'' 

प्रश्न:- सौतेले बच्चों को किस बात का निश्चय न होने के कारण बाप के पूरे 
मददगार नहीं बन सकते हैं? 
उत्तर:- सौतेले बच्चों को यह निश्चय ही नहीं होता कि अभी पवित्र बनने से 
ही पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे। बिना पवित्र बनें पवित्र दुनिया स्थापन 
नहीं हो सकती। यह निश्चय हो तो पूरे-पूरे मददगार बनें। मातेले बच्चे बाप 
को पूरा पहचान लायक बनने का पुरुषार्थ करते हैं। बाप की श्रीमत पर चल 
श्रेष्ठ बनते हैं। 

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) भ्रमरी की तरह भूँ-भूँ कर मनुष्य को देवता बनाने की सेवा करनी है। 
बाप की श्रीमत पर सदा सुखी बनना और बनाना है। 

2) ऊंच तकदीर बनाने के लिए पावन जरूर बनना है। सबको विषय सागर 
से क्षीरसागर में ले चलने के लिए बाप समान खिवैया बनना है। 

वरदान:- ज्ञान अमृत की वर्षा द्वारा मुर्दे से महान बनने वाले मरजीवा भव 

पहले चिंताओं की चिता पर जल रहे थे, अभी बाप ने ज्ञान अमृत की वर्षा कर 
जलती हुई चिता से मरजीवा बना दिया। जिंदा कर दिया। बाप ने अमृत पिलाया 
और अमर बना दिया। पहले मरे हुए मुर्दे के समान थे और अब मुर्दे से महान बन 
गये। पहले कहते थे भगवान मुर्दे को भी जिंदा करता है लेकिन कैसे करता है, 
वह नहीं जानते थे, अभी खुशी है कि बाप ने हमें अब जलती हुई चिता से 
उठाकर अमर बना दिया। 

स्लोगन:- धर्म में स्थित हो कर्म करने वाले ही धर्मात्मा हैं।