Thursday, May 30, 2013

Murli [30-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम्हें अन्त तक यह मीठी नॉलेज सुनते रहना है जब तक 
जीना है-पढ़ना और योग सीखना है'' 

प्रश्न:- बाप के साथ-साथ तुम बच्चे किस सेवा के निमित्त बने हुए हो? 
उत्तर:- जैसे बाप सारे विश्व को लिबरेट करते हैं, सब पर ब्लिस करते हैं, पीस मेकर 
बन पीस स्थापन करते हैं ऐसे तुम बच्चे भी बाप के साथ इस सेवा के निमित्त हो। 
तुम हो सैलवेशन आर्मी। तुम्हें भारत के डूबे हुए बेड़े को सैलवेज करना है। 21 जन्मों 
के लिए सबको सम्पत्तिवान बनाना है। ऐसी सेवा तुम बच्चों के सिवाए और कोई कर 
नहीं सकता। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) विकर्माजीत बनने के लिए चलते फिरते बाप को याद करने का अभ्यास करना है। 
याद का चार्ट जरूर रखना है। 

2) अपनी हर चलन से मात-पिता और टीचर का शो करना है। विनाश काल में प्रीत बुद्धि 
बनकर रहना है। रूहानी सेवा करनी है। 

वरदान:- वायदों की स्मृति द्वारा फ़ायदा उठाने वाले सदा बाप की ब्लैसिंग के पात्र भव 

जो भी वायदे मन से, बोल से अथवा लिखकर करते हो, उन्हें स्मृति में रखो तो वायदे का 
पूरा फायदा उठा सकते हो। चेक करो कि कितने बार वायदा किया है और कितना निभाया 
है! वायदा और फ़ायदा - इन दोनों का बैलेन्स रहे तो वरदाता बाप द्वारा ब्लैसिंग मिलती 
रहेगी। जैसे संकल्प श्रेष्ठ करते हो ऐसे कर्म भी श्रेष्ठ हों तो सफलता मूर्त बन जायेंगे। 

स्लोगन:- स्वयं को ऐसा दिव्य आइना बनाओ जिसमें बाप ही दिखाई दे तब कहेंगे सच्ची सेवा।