Tuesday, May 7, 2013

Murli [7-05-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-प्योरिटी बिगर मनुष्य कोई काम का नहीं इसलिए तुम्हें पवित्र 
बन दूसरों को पवित्र बनाने में मदद करना है'' 

प्रश्न:- किस निश्चय के बिगर खाना आबाद होने के बजाए बरबाद हो जाता है? 
उत्तर:- अगर निश्चय नहीं कि मोस्ट बिलवेड बाप हमें पढ़ा रहे हैं, हम आये हैं ज्ञान और योग 
सीखकर वर्सा लेने तो खाना बरबाद हो जाता है। संशय उठा माना तकदीर को लकीर लगी, 
इसलिए निश्चय में ही विजय है। बाप माताओं को आगे रखते हैं इसमें ईष्या करने की बात 
नहीं, इसमें भी बच्चों को संशय वा देह-अभिमान नहीं आना चाहिए। 

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) श्रीमत पर चल बाप के साथ मददगार बन सारे विश्व पर प्योरिटी, 
पीस स्थापन कर पीस-प्राइज़ लेनी है। 

2) माताओं-बहनों को सितम से बचाना है। माताओं का मर्तबा बढ़ाना है। रिगॉर्ड रखना है।
 
वरदान:- अपसेट होने के बजाए हिसाब-किताब को खुशी-खुशी से चुक्तू करने वाले निश्चिंत आत्मा भव 

यदि कभी कोई बात कहता है तो उसमें फौरन अपसेट नहीं हो जाओ, पहले स्पष्ट करो या वेरीफाय 
कराओ कि किस भाव से कहा है, अगर आपकी गलती नहीं है तो निश्चिंत हो जाओ। यह बात स्मृति 
में रहे कि ब्राह्मण आत्माओं द्वारा यहाँ ही सब हिसाब-किताब चुक्तू होने हैं। धर्मराजपुरी से बचने के 
लिए ब्राह्मण कहाँ न कहाँ निमित्त बन जाते हैं इसलिए घबराओ नहीं, खुशी-खुशी से चुक्तू करो। 
इसमें तरक्की (उन्नति) ही होनी है। 

स्लोगन:- ''बाप ही संसार है'' सदा इस स्मृति में रहना - यही सहजयोग है।