Monday, May 20, 2013

Murli [20-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम रूहानी सोशल वर्कर हो, तुम्हें भारत को स्वर्ग बनाने की 
सेवा करनी है, दु:खधाम को सुखधाम बनाना है'' 

प्रश्न:- संगम पर तुम ब्राह्मण बच्चे किस बात में बहुत एक्सपर्ट (तीखे) बन जाते हो? 
उत्तर:- सभी मनुष्यात्माओं की मनोकामना पूर्ण करने में अभी तुम एक्सपर्ट बने हो। 
मनुष्यों की कामना मुक्ति और जीवन्मुक्ति पाने की है, वह तुम्हें पूर्ण करनी है। तुम सभी 
को शान्ति का रास्ता बताते हो। शान्ति कोई जंगल में नहीं मिलती, लेकिन आत्मा का 
स्वधर्म ही शान्ति है। शरीर से डिटैच हो बाप को याद करो तो सुख-शान्ति का वर्सा मिल 
जायेगा। 

गीत:- मुखड़ा देख ले प्राणी... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) इस एक जन्म में पुरानी दुनिया से सन्यास कर बाप का मददगार बनना है। 
पवित्रता की अंगुली देनी है और मनमनाभव रहना है। 

2) भारत को सुप्रीम शान्ति में ले जाने की सेवा करनी है। इस शरीर से डिटैच हो 
बाप की याद में रहकर शक्ति लेनी है। शान्ति का दान देना है। 

वरदान:- खुशी की गोली वा इन्जेक्शन द्वारा स्वयं की दवाई स्वयं करने वाले नॉलेजफुल भव 

ब्राह्मण बच्चे अपने बीमारी की दवाई स्वयं ही कर सकते हैं। खुशी की खुराक सेकण्ड 
में असर करने वाली दवाई है। जैसे डाक्टर्स पावरफुल इन्जेक्शन लगा देते हैं तो चेंज 
हो जाते। ऐसे ब्राह्मण स्वयं ही स्वयं को खुशी की गोली दे देते वा खुशी का इन्जेक्शन 
लगा देते तो बीमारी का रूप बदल जाता। नॉलेज की लाइट माइट शरीर को भी चलाने 
में बहुत मदद देती है। कोई भी बीमारी आती है तो यह भी बुद्धि को रेस्ट देने का साधन है। 

स्लोगन:- जो मन की एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त कर लेते हैं वही सिद्धि स्वरूप बनते हैं।