Thursday, May 2, 2013

Murli [2-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-सपूत बन श्रीमत पर चल मात-पिता की आशीर्वाद ले आगे बढ़ते रहो, 
आशीर्वाद लेने में कभी भूल नहीं करना'' 

प्रश्न:- बाप बच्चों को कौन सा शुभ मार्ग बतलाते हैं, जो कोई भी मनुष्य नहीं बतला सकते? 
उत्तर:- पतित से पावन बनने का। मुक्ति-जीवनमुक्ति प्राप्त करने का शुभ मार्ग एक बाप ही बतलाते हैं। 
यह मार्ग किसी को भी पता नहीं है। अगर किसी भी आत्मा को पता होता तो दु:ख आते ही आत्मा 
फौरन वहाँ भाग जाती। बाप ने तुम्हें मार्ग बताया-बच्चे, देह सहित सब कुछ भूल अपने को आत्मा 
समझ बाप को याद करो, इससे ही पावन बनेंगे। 

गीत:- ले लो दुआयें माँ बाप की.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप की श्रीमत पर पूरा चल बाप का राइट हैण्ड बन पूरा राइटियस बनना है। 
बाप का पूरा मददगार बनना है। 

2) मात-पिता की आशीर्वाद आगे बढ़ाती है इसलिए आज्ञाकारी बन आशीर्वाद लेनी है। 
बाप समान निरहंकारी बनना है। 

वरदान:- सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा उड़ती कला में उड़ने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव 

ज्ञान-योग के साथ-साथ हर समय, हर कर्म में, हर दिन नया उमंग-उत्साह बना रहे, 
यही उड़ती कला का आधार है। कैसा भी कार्य हो, चाहे सफाई का हो, बर्तन मांजने का हो, 
साधारण कर्म हो, उसमें भी उमंग-उत्साह नैचुरल और निरन्तर हो। उड़ती कला वाली श्रेष्ठ 
आत्मा उमंग-उत्साह के पंखों से सदा उड़ती रहेगी, वह कभी कनफ्युज़ नहीं होगी, 
छोटी-छोटी बातों में थककर रुकेगी नहीं। 

स्लोगन:- जो निमार्णचित, अथक और सदा जागती ज्योत हैं - वही विश्व कल्याणकारी हैं।