मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-सपूत बन श्रीमत पर चल मात-पिता की आशीर्वाद ले आगे बढ़ते रहो,
प्रश्न:- बाप बच्चों को कौन सा शुभ मार्ग बतलाते हैं, जो कोई भी मनुष्य नहीं बतला सकते?
उत्तर:- पतित से पावन बनने का। मुक्ति-जीवनमुक्ति प्राप्त करने का शुभ मार्ग एक बाप ही बतलाते हैं।
गीत:- ले लो दुआयें माँ बाप की....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की श्रीमत पर पूरा चल बाप का राइट हैण्ड बन पूरा राइटियस बनना है।
2) मात-पिता की आशीर्वाद आगे बढ़ाती है इसलिए आज्ञाकारी बन आशीर्वाद लेनी है।
वरदान:- सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा उड़ती कला में उड़ने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव
ज्ञान-योग के साथ-साथ हर समय, हर कर्म में, हर दिन नया उमंग-उत्साह बना रहे,
स्लोगन:- जो निमार्णचित, अथक और सदा जागती ज्योत हैं - वही विश्व कल्याणकारी हैं।
आशीर्वाद लेने में कभी भूल नहीं करना''
प्रश्न:- बाप बच्चों को कौन सा शुभ मार्ग बतलाते हैं, जो कोई भी मनुष्य नहीं बतला सकते?
उत्तर:- पतित से पावन बनने का। मुक्ति-जीवनमुक्ति प्राप्त करने का शुभ मार्ग एक बाप ही बतलाते हैं।
यह मार्ग किसी को भी पता नहीं है। अगर किसी भी आत्मा को पता होता तो दु:ख आते ही आत्मा
फौरन वहाँ भाग जाती। बाप ने तुम्हें मार्ग बताया-बच्चे, देह सहित सब कुछ भूल अपने को आत्मा
समझ बाप को याद करो, इससे ही पावन बनेंगे।
गीत:- ले लो दुआयें माँ बाप की....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की श्रीमत पर पूरा चल बाप का राइट हैण्ड बन पूरा राइटियस बनना है।
बाप का पूरा मददगार बनना है।
2) मात-पिता की आशीर्वाद आगे बढ़ाती है इसलिए आज्ञाकारी बन आशीर्वाद लेनी है।
बाप समान निरहंकारी बनना है।
वरदान:- सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा उड़ती कला में उड़ने वाली श्रेष्ठ आत्मा भव
ज्ञान-योग के साथ-साथ हर समय, हर कर्म में, हर दिन नया उमंग-उत्साह बना रहे,
यही उड़ती कला का आधार है। कैसा भी कार्य हो, चाहे सफाई का हो, बर्तन मांजने का हो,
साधारण कर्म हो, उसमें भी उमंग-उत्साह नैचुरल और निरन्तर हो। उड़ती कला वाली श्रेष्ठ
आत्मा उमंग-उत्साह के पंखों से सदा उड़ती रहेगी, वह कभी कनफ्युज़ नहीं होगी,
छोटी-छोटी बातों में थककर रुकेगी नहीं।
स्लोगन:- जो निमार्णचित, अथक और सदा जागती ज्योत हैं - वही विश्व कल्याणकारी हैं।