Friday, May 17, 2013

Murli [17-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-वारिस बनना है तो वारी जाओ अर्थात् सबसे नष्टोमोहा बनो। 
साकार बाप को पूरा-पूरा फालो करो।'' 

प्रश्न:- पापों से बचने तथा अनेक आत्माओं की आशीर्वाद प्राप्त करने का साधन क्या है? 
उत्तर:- पापों से बचने के लिए तन-मन-धन सब कुछ बाप पर बलिहार कर दो, फिर ट्रस्टी 
होकर सम्भालो। कदम-कदम पर श्रीमत लेते रहो। श्रीमत कहती है-तुम बच्चे अपना पैसा 
पाप के काम में नहीं लगा सकते हो। पाप आत्मा को दान देना-यह भी पाप कराने के 
निमित्त बनना है इसलिए अगर धन है तो रूहानी हॉस्पिटल खोलो-इससे बहुतों की 
आशीर्वाद मिलेगी। 

गीत:- हमारे तीर्थ न्यारे हैं.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अन्दर कोई भी विकल्प आये तो भी कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म नहीं करना है। 
राजाई पाने के लिए पवित्रता की प्रतिज्ञा जरूर करनी है। 

2) जीते जी मरकर अपने को छोटा बच्चा समझना है। एक बाप से ही सुनना और 
सीखना है बाकी सब कुछ भूल जाना है। 

वरदान:- निश्चयबुद्धि बन लौकिक में अलौकिक भावना रखने वाले डबल सेवाधारी ट्रस्टी भव 

कई बच्चे सेवा करते-करते थक जाते हैं, सोचते हैं यह तो कभी बदलना ही नहीं है। 
ऐसे दिलशिकस्त नहीं बनो। निश्चयबुद्धि बन, मेरेपन के संबंध से न्यारे हो चलते चलो। 
कोई कोई आत्माओं का भक्ति का हिसाब चुक्तू होने में थोड़ा समय लगता है इसलिए 
धीरज धर, साक्षीपन की स्थिति में स्थित हो, शान्त और शक्ति का सहयोग आत्माओं 
को देते रहो। लौकिक में अलौकिक भावना रखो। डबल सेवाधारी, ट्रस्टी बनो। 

स्लोगन:- अपनी श्रेष्ठ वृत्ति से वायुमण्डल को श्रेष्ठ बनाना यही सच्ची सेवा है।