26-05-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:07-02-76 मधुबन
अव्यक्त फरिश्तों की सभा
वरदान:- आज्ञाकारी बन बाप की मदद वा दुआओं का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव
बाप की आज्ञा है ''मुझ एक को याद करो''। एक बाप ही संसार है इसलिए दिल में सिवाए बाप
स्लोगन:- नये ब्राह्मण जीवन की स्मृति में रहो तो कोई भी पुराना संस्कार इमर्ज नहीं हो सकता।
अव्यक्त फरिश्तों की सभा
वरदान:- आज्ञाकारी बन बाप की मदद वा दुआओं का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव
बाप की आज्ञा है ''मुझ एक को याद करो''। एक बाप ही संसार है इसलिए दिल में सिवाए बाप
के और कुछ भी समाया हुआ न हो। एक मत, एक बल, एक भरोसा.....जहाँ एक है वहाँ हर
कार्य में सफलता है। उनके लिए कोई भी परिस्थिति को पार करना सहज है। आज्ञा पालन
करने वाले बच्चों को बाप की दुआयें मिलती हैं इसलिए मुश्किल भी सहज हो जाता है।
स्लोगन:- नये ब्राह्मण जीवन की स्मृति में रहो तो कोई भी पुराना संस्कार इमर्ज नहीं हो सकता।