Saturday, May 18, 2013

Murli [18-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम्हारे पर माया का पूरा पहरा है इसलिए जरा भी गफ़लत न करो, 
देही-अभिमानी रहने की मेहनत करते रहो।'' 

प्रश्न:- बाप के पास कौन-सा भण्डारा सदा भरपूर है? उस भण्डारे से स्वयं को भरपूर करने का साधन क्या है? 
उत्तर:- बाप के पास पवित्रता-सुख-शान्ति का भण्डारा सदा ही भरपूर है। स्थाई सुख व शान्ति चाहिए तो 
जंगल में भटकने की जरूरत नहीं है। पवित्रता ही सुख और शान्ति का आधार है। पवित्र बनो तो तुम्हारे 
सब भण्डारे भरपूर हो जायेंगे। बाप आते ही हैं बच्चों को पवित्र बनाने। वह है एवर पवित्र। 

गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे.... 

धारणा के लिए मुख्य सार : 

1) मैं इस रथ पर विराजमान रथी आत्मा हूँ, यह अभ्यास करते पूरा-पूरा देही-अभिमानी बनना है। 
बुद्धियोग की रेस करनी है। 

2) पूरा नष्टोमोहा बनना है। इस अन्तिम जन्म में सितम सहन करते भी पावन जरूर बनना है। 

वरदान:- सर्व प्राप्तियों की अनुभूति द्वारा माया को विदाई दे बधाई पाने वाले खुशनसीब आत्मा भव 

जिनका साथी सर्वशक्तिमान बाप है, उनको सदा ही सर्व प्राप्तियां हैं। उनके सामने कभी किसी प्रकार की 
माया आ नहीं सकती। जो प्राप्तियों की अनुभूति में रह माया को विदाई देते हैं उन्हें बापदादा द्वारा हर 
कदम में बधाई मिलती है। तो सदा इसी स्मृति में रहो कि स्वयं भगवान हम आत्माओं को बधाई देते हैं, 
जो सोचा नहीं वह पा लिया, बाप को पाया सब कुछ पाया ऐसी खुशनसीब आत्मा हो। 

स्लोगन:- स्वचिन्तन और प्रभुचिन्तन करो तो व्यर्थ चिंतन स्वत: समाप्त हो जायेगा।