मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-यह ज्ञान बड़े मजे का है, तुम हरेक अपने लिए कमाई करते हो।
प्रश्न:- अविनाशी कमाई करने की विधि क्या है? इस कमाई से वंचित कौन रह जाता है?
उत्तर:- यह अविनाशी कमाई करने के लिए रात को वा अमृतवेले जागकर बाप को याद करते रहो,
गीत:- जाग सजनियाँ जाग...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्थाई खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करना है। नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड
2) एक बाप से सच्ची प्रीत रख कमाई करनी है। हम आत्मा इस देह में रथी हैं। रथी समझ
वरदान:- सदा अपनी श्रेष्ठ शान में रह परेशानियों को मिटाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
सदा यह वरदान स्मृति में रहे कि हम अपनी श्रेष्ठ शान में रहने वाले औरों की भी परेशानी को
स्लोगन:- सदा अपने स्वमान में रहो तो सर्व का मान मिलता रहेगा।
तुम्हें और किसी का भी ख्याल नहीं करना है, अपनी इस देह को भी भूल कमाई में लग जाना है।''
प्रश्न:- अविनाशी कमाई करने की विधि क्या है? इस कमाई से वंचित कौन रह जाता है?
उत्तर:- यह अविनाशी कमाई करने के लिए रात को वा अमृतवेले जागकर बाप को याद करते रहो,
विचार सागर मंथन करो। कमाई में कभी उबासी या नींद नहीं आती। तुम चलते-फिरते भी बाप की
याद में रहो तो हर सेकेण्ड कमाई है। तुम्हें इन्डिपेन्डेंट अपने लिए कमाई करनी है। जो उस
विनाशी कमाई के लोभ में ज्यादा जाते, वह इस कमाई से वंचित हो जाते हैं।
गीत:- जाग सजनियाँ जाग...
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्थाई खुशी में रहने के लिए विचार सागर मंथन करना है। नशे में रहना है कि हम ब्रह्माण्ड
और विश्व के मालिक बनने वाले हैं।
2) एक बाप से सच्ची प्रीत रख कमाई करनी है। हम आत्मा इस देह में रथी हैं। रथी समझ
देही-अभिमानी बनने का अभ्यास करना है।
वरदान:- सदा अपनी श्रेष्ठ शान में रह परेशानियों को मिटाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान भव
सदा यह वरदान स्मृति में रहे कि हम अपनी श्रेष्ठ शान में रहने वाले औरों की भी परेशानी को
मिटाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान हैं। कमजोर नहीं। श्रेष्ठ शान के तख्तनशीन हैं। जो अकालतख्तनशीन,
बाप के दिल तख्तनशीन श्रेष्ठ शान में रहने वाले हैं, वे स्वप्न में भी कभी परेशान नहीं हो सकते।
कोई कितना भी परेशान करे लेकिन अपनी श्रेष्ठ शान में ही रहते हैं।
स्लोगन:- सदा अपने स्वमान में रहो तो सर्व का मान मिलता रहेगा।