मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-पहले अपने ऊपर रहम करो, फिर आपका फ़र्ज है अपने परिवार को स्वर्ग में
प्रश्न:- तुम किस रेस के आधार से शिवालय के मालिक बन जायेंगे?
उत्तर:- फालो फादर-मदर। सिर्फ एक जन्म पवित्रता की प्रतिज्ञा करो। नर्क से दिल हटा दो। शिवबाबा
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह तथा देह के सर्व सम्बन्ध भूल अशरीरी आत्मा बनने का अभ्यास करना है।
2) पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। दृढ़ संकल्प करना है कि ''रात-दिन एक बाबा की ही याद
वरदान:- लगन की अग्नि में सब चिंताओं को समाप्त करने वाले निश्चयबुद्धि निश्चिंत भव
जो बच्चे निश्चयबुद्धि हैं वह सभी बातों में निश्चिंत रहते हैं। चिंतायें सारी मिट गई। बाप ने
स्लोगन:- ऐसे अचल अडोल बनो जो किसी भी प्रकार की समस्या बुद्धि रूपी पांव को हिला न सके।
चलने का सही रास्ता बताना, इसलिए उन्हें भी लायक बनाने का पूरा पुरुषार्थ करो''
प्रश्न:- तुम किस रेस के आधार से शिवालय के मालिक बन जायेंगे?
उत्तर:- फालो फादर-मदर। सिर्फ एक जन्म पवित्रता की प्रतिज्ञा करो। नर्क से दिल हटा दो। शिवबाबा
तुम्हारे लिए शिवालय स्थापन कर रहे हैं, जहाँ तुम चैतन्य में राज्य करेंगे। धन्धाधोरी करते बाप और
स्वर्ग को याद करने से राजाई का तिलक मिल जायेगा अर्थात् शिवालय के मालिक बन जायेंगे।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) देह तथा देह के सर्व सम्बन्ध भूल अशरीरी आत्मा बनने का अभ्यास करना है।
बाप से श्रीमत लेकर कदम-कदम उस पर चलना है।
2) पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। दृढ़ संकल्प करना है कि ''रात-दिन एक बाबा की ही याद
में रहूँगा और बाबा जो कहेंगे वह अवश्य करूंगा''। हियर नो ईविल, सी नो ईविल...
वरदान:- लगन की अग्नि में सब चिंताओं को समाप्त करने वाले निश्चयबुद्धि निश्चिंत भव
जो बच्चे निश्चयबुद्धि हैं वह सभी बातों में निश्चिंत रहते हैं। चिंतायें सारी मिट गई। बाप ने
चिंताओं की चिता से उठाकर दिलतख्त पर बिठा दिया। बाप से लगन लगी और लगन के
आधार पर, लगन की अग्नि में सब चिंतायें समाप्त हो गई, जैसे थी ही नहीं। न तन की चिंता,
न मन में कोई व्यर्थ चिंता और न धन की चिंता। क्या होगा......ज्ञान की शक्ति से सब जान
गये इसलिए सब चिंताओं से परे निश्चिंत जीवन हो गई।
स्लोगन:- ऐसे अचल अडोल बनो जो किसी भी प्रकार की समस्या बुद्धि रूपी पांव को हिला न सके।