Monday, May 13, 2013

Murli [13-05-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''हे मीठे लाल-रात को जागकर मोस्ट बिलवेड बाप को याद करो, देही-अभिमानी बनो। 
श्रीमत कहती है बाप समान निरहंकारी बनो'' 

प्रश्न:- शिवबाबा के साथ ब्रह्मा की मत बहुत नामीग्रामी है-क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि ब्रह्मा बाबा शिवबाबा का एक ही मुरब्बी बच्चा है। इसे अपनी मत का अहंकार नहीं है। 
सदैव कहते हैं-तुम हमेशा बाप की ही श्रीमत समझो। इसमें ही तुम्हारा कल्याण है। बाबा देखो कितना 
निरहंकारी है, माताओं को कहते हैं वन्दे मातरम्। मातायें ज्ञान गंगा हैं, शक्ति सेना हैं, इन्हें आगे रखना है, 
रिगार्ड देना है। इसमें देह-अभिमान नहीं आना चाहिए। 

गीत:- जो पिया के साथ है... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) देही-अभिमानी बन माया पर जीत अवश्य पानी है। रात को जागकर भी मोस्ट बिलवेड 
बाप को याद करना है। 

2) बाप समान निराकारी, निरहंकारी बनना है। शिवबाबा को देते हैं-यह तो संकल्प में भी नहीं लाना है। 

वरदान:- हदों से पार रह सबको अपने पन की महूसता कराने वाले अनुभवी मूर्त भव 

जैसे हर एक के मन से निकलता है मेरा बाबा। ऐसे सभी के मन से निकले कि यह मेरा है, बेहद का भाई 
है या बहन है, दीदी है, दादी है। कहाँ भी रहते हो लेकिन बेहद सेवा के निमित्त हो। हदों से पार रहकर बेहद 
की भावना, बेहद की श्रेष्ठ कामना रखना - यही है फालो फादर करना। अभी इसका प्रैक्टिकल अनुभव करो 
और कराओ। वैसे भी अनुभवी बुजुर्ग को पिता जी, काका जी कहते हैं, ऐसे बेहद के अनुभवी अर्थात् सबको 
अपनापन महसूस हो। 

स्लोगन:- उपराम स्थिति द्वारा उड़ती कला में उड़ते रहो तो कर्म रूपी डाली के बंधन में फँसेंगे नहीं।