Saturday, January 11, 2014

Murli-[8-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें अब इस शरीर को भूल अनासक्त, कर्मातीत बन घर चलना है इसलिए सुकर्म करो, कोई भी विकर्म न हो'' 
प्रश्न:- अपनी अवस्था की जाँच करने के लिए किन तीन की महिमा को सदा याद रखो? 
उत्तर:- 1. निराकार की महिमा 2. देवताओं की महिमा 3. स्वयं की महिमा। अब जाँच करो कि निराकार बाप के समान पूज्य बने हैं, उनके सब गुणों को धारण किया है! देवताओं जैसी रायल चलन है! देवताओं का जो खान पान है, उनके जो गुण हैं वह हमारे हैं? आत्मा के जो गुण हैं उन सब गुणों को जान उनका स्वरूप बने हैं? 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) ट्रस्टी और अनासक्त बनकर रहो। कोई भी फालतू (व्यर्थ) खर्चे मत करो। स्वयं को देवताओं जैसा पवित्र बनाने का पुरूषार्थ करते रहो। 
2) एक प्यारे ते प्यारी चीज (बाप) को याद करो। जितना हो सके कलियुगी बन्धन को हल्का करते जाओ, बढ़ाओ मत। सतयुगी दैवी सम्बन्ध में जा रहे हैं, इस खुशी में रहो। 
वरदान:- ``बाबा'' शब्द की चाबी से सर्व खजाने प्राप्त करने वाली भाग्यवान आत्मा भव 
चाहे और कुछ भी ज्ञान के विस्तार को जान नहीं सकते वा सुना नहीं सकते लेकिन एक शब्द ``बाबा'' दिल से माना और दिल से औरों को सुनाया तो विशेष आत्मा बन गये, दुनिया के आगे महान आत्मा के स्वरूप में गायन योग्य बन गये क्योंकि एक ``बाबा'' शब्द सर्व खजानों की वा भाग्य की चाबी है। चाबी लगाने की विधि है दिल से जानना और मानना। दिल से कहो बाबा तो खजाने सदा हाजिर हैं। 
स्लोगन:- बापदादा से स्नेह है तो स्नेह में पुराने जहान को कुर्बान कर दो।