Thursday, January 23, 2014

Murli-[23-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप की याद में रह सदा हर्षित रहो। याद में रहने वाले बहुत रमणीक 
और मीठे होंगे। खुशी में रह सर्विस करेंगे।'' 

प्रश्न:- ज्ञान की मस्ती के साथ-साथ कौन सी चेकिंग करना बहुत जरूरी है? 
उत्तर:- ज्ञान की मस्ती तो रहती है लेकिन चेक करो देही-अभिमानी कितना बने हैं? ज्ञान तो बहुत 
सहज है लेकिन योग में माया विघ्न डालती है। गृहस्थ व्यवहार में अनासक्त हो रहना है। ऐसा न हो 
माया चूही अन्दर ही अन्दर काटती रहे और पता भी न पड़े। अपनी नब्ज़ आपेही देखते रहो कि बाबा 
के साथ हमारा हठी प्यार है? कितना समय हम याद में रहते हैं? 

गीत:- जले क्यों न परवाना..... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपना बैग बैगेज सब ट्रांसफर कर बहुत खुशी और मस्ती में रहना है। मम्मा बाबा समान तख्तनशीन 
बनना है। जिगरी याद में रहना है। 

2) किसी के डर से पढ़ाई कभी नहीं छोड़नी है। याद से अपने कर्मबन्धन हल्के करने हैं। कभी क्रोध में 
आकर लॉ हाथ में नहीं उठाना है। किसी सेवा में ना नहीं करनी है। 

वरदान:- अलबेलेपन वा अटेन्शन के अभिमान को छोड़ बाप की मदद के पात्र बनने वाले सहज पुरूषार्थी भव 

कई बच्चे हिम्मत रखने के बजाए अलबेलेपन के कारण अभिमान में आ जाते हैं कि हम तो सदा पात्र हैं ही। 
बाप हमें मदद नहीं करेंगे तो किसको करेंगे! इस अभिमान के कारण हिम्मत की विधि को भूल जाते हैं। 
कईयों में फिर स्वयं पर अटेन्शन देने का भी अभिमान रहता जो मदद से वंचित कर देता है। समझते हैं 
हमने तो बहुत योग लगा लिया, ज्ञानी-योगी तू आत्मा बन गये, सेवा की राजधानी बन गई... इस प्रकार के 
अभिमान को छोड़ हिम्मत के आधार पर मदद के पात्र बनो तो सहज पुरूषार्थी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- जो वेस्ट और निगेटिव संकल्प चलते हैं उन्हें परिवर्तन कर विश्व कल्याण के कार्य में लगाओ।