Tuesday, January 28, 2014

Murli-[27-1-2014]- English

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - पावन बनने के लिए याद की यात्रा बहुत ज़रूरी है, यही मुख्य सबजेक्ट है, 
इस योगबल से तुम सर्विसएबुल गुणवान बन सकते हो।'' 

प्रश्न:- तुम बच्चे जो योग सीखते हो यही सबसे निराला योग है कैसे? 
उत्तर:- आज तक जो योग सीखते या सिखाते आये वह मनुष्यों का मनुष्यों के साथ योग जुटा। लेकिन 
अभी हम निराकार के साथ योग लगाते हैं। निराकार आत्मा निराकार बाप को याद करे - यह है सबसे 
निराली बात। दुनिया में कोई भगवान को याद भी करते तो बिगर परिचय। आक्यूपेशन के बिना किसी 
को याद करना यह भक्ति है। ज्ञानवान बच्चे परिचय सहित याद करते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) पतितों को पावन बनाने की सेवा करो, गणिकाओं, वेश्याओं को ज्ञान दो, गिरे हुए को उठाओ, 
उनका उद्धार करो तब नाम बाला हो। 

2) स्वयं की दृष्टि को पवित्र बनाने के लिए चलते फिरते अभ्यास करो कि हम आत्मा हैं, आत्मा से 
बात करते हैं। बाप की याद में रहो तो पावन बन जायेंगे। 

वरदान:- स्वराज्य अधिकार के नशे और निश्चय से सदा शक्तिशाली बनने वाले सहजयोगी, निरन्तर योगी भव 

स्वराज्य अधिकारी अर्थात् हर कर्मेन्द्रिय पर अपना राज्य। कभी संकल्प में भी कर्मेन्द्रियां धोखा न दें। 
कभी थोड़ा भी देह-अभिमान आया तो जोश या क्रोध सहज आ जाता है, लेकिन जो स्वराज्य अधिकारी हैं 
वह सदा निरंहकारी, सदा ही निर्माण बन सेवा करते हैं इसलिए मैं स्वराज्य अधिकारी आत्मा हूँ - 
इस नशे और निश्चय से शक्तिशाली बन मायाजीत सो जगतजीत बनो तो सहजयोगी, निरन्तर योगी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- लाइट हाउस बन मन-बुद्धि से लाइट फैलाने में बिजी रहो तो किसी बात में भय नहीं लगेगा।