मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सदा इसी नशे में रहो कि भगवान हमको पढ़ाते हैं, हमारी यह स्टूडेन्ट
प्रश्न:- किन बच्चों को सभी का प्यार प्राप्त होता है?
उत्तर:- जो बहुतों के कल्याण के निमित्त बनते हैं, जिनका कल्याण हुआ वह कहेंगे तुम तो हमारी माता हो।
गीत:- तू प्यार का सागर है.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एम आब्जेक्ट को सामने रख पुरूषार्थ करो। लक्ष्मी-नारायण के चित्र को सामने देखते हुए अपने आपसे
2) आप समान बनाने के लिए भ्रमरी की तरह ज्ञान की भूँ-भूँ करो। खुदाई खिदमतगार बन स्वर्ग की
वरदान:- मन-बुद्धि को आर्डर प्रमाण विधिपूर्वक कार्य में लगाने वाले निरन्तर योगी भव
निरन्तर योगी अर्थात् स्वराज्य अधिकारी बनने का विशेष साधन मन और बुद्धि है। मन्त्र ही मन्मनाभव
स्लोगन:- मास्टर विश्व शिक्षक बनो, समय को शिक्षक नहीं बनाओ।
लाइफ दी बेस्ट है, हमारे ऊपर ब्रहस्पति की दशा है''
प्रश्न:- किन बच्चों को सभी का प्यार प्राप्त होता है?
उत्तर:- जो बहुतों के कल्याण के निमित्त बनते हैं, जिनका कल्याण हुआ वह कहेंगे तुम तो हमारी माता हो।
तो अपने आपको देखो हम कितनों का कल्याण करते हैं? बाप का मैसेज कितनी आत्माओं को देते हैं?
बाप भी पैगम्बर है। तुम बच्चों को भी बाप का पैगाम देना है। सबको बोलो दो बाप हैं। बेहद के बाप
और वर्से को याद करो।
गीत:- तू प्यार का सागर है.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एम आब्जेक्ट को सामने रख पुरूषार्थ करो। लक्ष्मी-नारायण के चित्र को सामने देखते हुए अपने आपसे
बातें करो ओहो बाबा आप हमें ऐसा बनाते हैं! हमारे ऊपर अभी ब्रहस्पति की दशा बैठी है।
2) आप समान बनाने के लिए भ्रमरी की तरह ज्ञान की भूँ-भूँ करो। खुदाई खिदमतगार बन स्वर्ग की
स्थापना में बाप की मदद करो।
वरदान:- मन-बुद्धि को आर्डर प्रमाण विधिपूर्वक कार्य में लगाने वाले निरन्तर योगी भव
निरन्तर योगी अर्थात् स्वराज्य अधिकारी बनने का विशेष साधन मन और बुद्धि है। मन्त्र ही मन्मनाभव
का है। योग को बुद्धियोग कहते हैं। तो अगर यह विशेष आधार स्तम्भ अपने अधिकार में हैं अर्थात् आर्डर
प्रमाण विधि-पूर्वक कार्य करते हैं। जो संकल्प जब करना चाहो वैसा संकल्प कर सको, जहाँ बुद्धि को लगाना
चाहो वहाँ लगा सको, बुद्धि आप राजा को भटकाये नहीं। विधिपूर्वक कार्य करे तब कहेंगे निरन्तर योगी।
स्लोगन:- मास्टर विश्व शिक्षक बनो, समय को शिक्षक नहीं बनाओ।