Sunday, January 19, 2014

Murli-[19-1-2014]- Hindi

19-01-2014 (AM Rewised - 05-06-1977)
अलौकिक जीवन का कर्तव्य ही है - विकारी को निर्विकारी बनाना 


वरदान:- ब्राह्मण जीवन में हर सेकण्ड सुखमय स्थिति का अनुभव करने वाले सम्पूर्ण पवित्र आत्मा भव 

पवित्रता को ही सुख-शान्ति की जननी कहा जाता है। किसी भी प्रकार की अपवित्रता दु:ख अशान्ति का 
अनुभव कराती है। ब्राह्मण जीवन अर्थात् हर सेकण्ड सुखमय स्थिति में रहने वाले। चाहे दु:ख का नज़रा 
भी हो लेकिन जहाँ पवित्रता की शक्ति है वहाँ दु:ख का अनुभव नहीं हो सकता। पवित्र आत्मायें मास्टर 
सुखकर्ता बन दु:ख को रूहानी सुख के वायुमण्डल में परिवर्तन कर देती हैं। 

स्लोगन:- साधनों का प्रयोग करते साधना को बढ़ाना ही बेहद की वैराग्य वृत्ति है।