Thursday, January 16, 2014

Murli-[16-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम राजऋषि हो, तुम्हें राजाई प्राप्त करने के लिए पुरूषार्थ करना है, 
साथ-साथ दैवी गुण भी ज़रूर धारण करने हैं।'' 

प्रश्न:- उत्तम पुरूष बनने का पुरूषार्थ क्या है? किस बात पर बहुत अटेन्शन चाहिए? 
उत्तर:- उत्तम पुरूष बनना है तो पढ़ाई से कभी रूठना नहीं। पढ़ाई से लड़ने झगड़ने का तैलुक नहीं। 
पढ़ेंगे लिखेंगे होंगे नवाब..इसलिए सदा अपनी उन्नति का ख्याल रहे। चलन पर बहुत अटेन्शन 
चाहिए। देवताओं जैसा बनना है तो चलन बड़ी रॉयल चाहिए। बहुत-बहुत मीठा बनना है। मुख 
से ऐसे बोल निकलें जो सबको मीठे लगे। किसी को दु:ख न हो। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपना दैवी कैरेक्टर बनाना है, दैवी गुण धारण कर अपना और सर्व का कल्याण करना है। 
सबको सुख देना है। 

2) सतोप्रधान बनने के लिए बुद्धि एक बाप से लगानी है। बुद्धि को भटकाना नहीं है। बाप समान 
टीचर बन सबको सही रास्ता बताना है। 

वरदान:- पवित्रता की गुह्यता को जान सुख-शान्ति सम्पन्न बनने वाली महान आत्मा भव 

पवित्रता के शक्ति की महानता को जान पवित्र अर्थात् पूज्य देव आत्मायें अभी से बनो। ऐसे नहीं 
कि अन्त में बन जायेंगे। यह बहुत समय की जमा की हुई शक्ति अन्त में काम आयेगी। पवित्र 
बनना कोई साधारण बात नहीं है। ब्रह्मचारी रहते हैं, पवित्र बन गये हैं... लेकिन पवित्रता जननी 
है, चाहे संकल्प से, चाहे वृत्ति से, वायुमण्डल से, वाणी से, सम्पर्क से सुख-शान्ति की जननी 
बनना - इसको कहते हैं महान आत्मा। 

स्लोगन:- ऊंची स्थिति में स्थित हो सर्व आत्माओं को रहम की दृष्टि दो, वायब्रेशन फैलाओ।