26-01-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:07-06-77 मधुबन
संगमयुग (धर्माऊयुग) को विशेष वरदान - `चढ़ती कला सर्व का भला'
वरदान:- सदा श्रेष्ठ समय प्रमाण श्रेष्ठ कर्म करते वाह-वाह के गीत गाने वाले भाग्यवान आत्मा भव
इस श्रेष्ठ समय पर सदा श्रेष्ठ कर्म करते ''वाह-वाह`` के गीत मन से गाते रहो। ''वाह मेरा श्रेष्ठ कर्म
संगमयुग (धर्माऊयुग) को विशेष वरदान - `चढ़ती कला सर्व का भला'
वरदान:- सदा श्रेष्ठ समय प्रमाण श्रेष्ठ कर्म करते वाह-वाह के गीत गाने वाले भाग्यवान आत्मा भव
इस श्रेष्ठ समय पर सदा श्रेष्ठ कर्म करते ''वाह-वाह`` के गीत मन से गाते रहो। ''वाह मेरा श्रेष्ठ कर्म
या वाह श्रेष्ठ कर्म सिखलाने वाले बाबा``। तो सदा वाह-वाह! के गीत गाओ। कभी गलती से भी दु:ख
का नज़ारा देखते भी हाय शब्द नहीं निकलना चाहिए। वाह ड्रामा वाह! और वाह बाबा वाह! जो
स्वप्न में भी नहीं था वह भाग्य घर बैठे मिल गया। इसी भाग्य के नशे में रहो।
स्लोगन:- मन-बुद्धि को शक्तिशाली बना दो तो कोई भी हलचल में अचल अडोल रहेंगे।