मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सदा खुशी में रहो और दूसरों को भी खुशी दिलाओ, यही है सब
प्रश्न:- सदा खुशमिज़ाज़ कौन रह सकते हैं? खुशमिज़ाज़ बनने का साधन क्या है?
उत्तर:- सदा खुशमिज़ाज़ वही रह सकते जो ज्ञान में बहुत होशियार हैं, जो ड्रामा को कहानी
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विचार सागर मंथन कर अपार खुशी का अनुभव करना है। औरों को भी रास्ता बताने की
2) माया के दु:खों का छप्पर उठाने के लिए मिल करके कंधा देना है। सेन्टर्स खोल अनेकों के
वरदान:- साधनों को निर्लेप वा न्यारे बन कार्य में लगाने वाले बेहद के वैरागी भव
बेहद के वैरागी अर्थात् किसी में भी लगाव नहीं, सदा बाप के प्यारे। यह प्यारापन ही न्यारा बनाता
स्लोगन:- दिल की सच्चाई-सफाई हो तो साहेब राज़ी हो जायेगा।
पर कृपा करना, किसी को भी रास्ता बताना यह सबसे बड़ा पुण्य है।''
प्रश्न:- सदा खुशमिज़ाज़ कौन रह सकते हैं? खुशमिज़ाज़ बनने का साधन क्या है?
उत्तर:- सदा खुशमिज़ाज़ वही रह सकते जो ज्ञान में बहुत होशियार हैं, जो ड्रामा को कहानी
की तरह जानते और सिमरण करते हैं। खुशमिज़ाज बनने के लिए सदा बाप की श्रीमत पर
चलते रहो। अपने को आत्मा समझो और बाप जो भी समझाते हैं उसका अच्छी तरह मंथन
करो। विचार सागर मंथन करते-करते खुशमिज़ाज़ बन जायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विचार सागर मंथन कर अपार खुशी का अनुभव करना है। औरों को भी रास्ता बताने की
कृपा करनी है। संग के रंग में आकर कोई भी पाप कर्म नहीं करना है।
2) माया के दु:खों का छप्पर उठाने के लिए मिल करके कंधा देना है। सेन्टर्स खोल अनेकों के
कल्याण के निमित्त बनना है।
वरदान:- साधनों को निर्लेप वा न्यारे बन कार्य में लगाने वाले बेहद के वैरागी भव
बेहद के वैरागी अर्थात् किसी में भी लगाव नहीं, सदा बाप के प्यारे। यह प्यारापन ही न्यारा बनाता
है। बाप का प्यारा नहीं तो न्यारा भी नहीं बन सकते, लगाव में आ जायेंगे। जो बाप का प्यारा है
वह सर्व आकर्षणों से परे अर्थात् न्यारा होगा - इसको ही कहते हैं निर्लेप स्थिति। कोई भी हद के
आकर्षण की लेप में आने वाले नहीं। रचना वा साधनों को निर्लेप होकर कार्य में लायें - ऐसे बेहद
के वैरागी ही राजऋषि हैं।
स्लोगन:- दिल की सच्चाई-सफाई हो तो साहेब राज़ी हो जायेगा।