Wednesday, January 29, 2014

Murli-[29-1-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप का बनकर बाप का नाम बाला करो, नाम बाला होगा सम्पूर्ण पवित्र बनने से, 
तुम्हें सम्पूर्ण मीठा भी बनना है'' 

प्रश्न:- संगमयुग पर तुम बच्चों को कौन-सी एक फिक्र है जो सतयुग में नहीं होगी? 
उत्तर:- संगम पर तुम्हें पावन बनने की ही फिक्र है, बाप ने तुम्हें और सब बातों से बेफिक्र बना दिया। तुम 
पुरूषार्थ करते हो कि यह पुराना शरीर खुशी-खुशी से छूटे। तुम जानते हो पुराना वस्त्र उतार नया लेंगे। हरेक 
बच्चे को अपनी दिल से पूछना है कि हमें कितनी खुशी रहती है, हम बाप को कितना याद करते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपने आपसे पूछो कि - 1- हमें खुशी कहाँ तक रहती है? 2- सर्वगुण सम्पन्न थे, अब श्रीमत पर फिर 
बनना है, यह निश्चय कहाँ तक है? 3- हम सतोप्रधान कहाँ तक बने हैं? दिन-रात सतोप्रधान (पावन) 
बनने की फिकरात रहती है? 

2) बेहद बाप के साथ विश्व की खिदमत (सेवा) करनी है। बेहद की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। देह सहित 
जो भी बंधन हैं उन्हें बाप की याद से खलास कर देना है। 

वरदान:- अपनी सूक्ष्म शक्तियों पर विजयी बनने वाले राजऋषि, स्वराज्य अधिकारी आत्मा भव 

कर्मेन्द्रिय जीत बनना तो सहज है लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार - इन सूक्ष्म शक्तियों पर विजयी बनना - 
यह सूक्ष्म अभ्यास है। जिस समय जो संकल्प, जो संस्कार इमर्ज करने चाहें वही संकल्प, वही संस्कार 
सहज अपना सकें - इसको कहते हैं सूक्ष्म शक्तियों पर विजय अर्थात् राजऋषि स्थिति। अगर संकल्प 
शक्ति को आर्डर करो कि अभी-अभी एकाग्रचित हो जाओ, तो राजा का आर्डर उसी घड़ी उसी प्रकार से 
मानना यही है - राज्य अधिकार की निशानी। इसी अभ्यास से अन्तिम पेपर में पास होंगे। 

स्लोगन:- सेवाओं से जो दुआयें मिलती हैं यही सबसे बड़े से बड़ी देन हैं।