मुरली सार:- मीठे बच्चे - रूहानी सर्जन तुम्हें ज्ञान-योग की फर्स्टक्लास वन्डरफुल खुराक खिलाते हैं,
प्रश्न:- विश्व का राज्य भाग्य लेने के लिए कौन सी एक मेहनत करो? पक्की-पक्की आदत डालो?
उत्तर:- ज्ञान के तीसरे नेत्र से अकाल तख्तनशीन आत्मा भाई को देखने की मेहनत करो। भाई-भाई
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप बच्चों की रूहानी सर्विस पर आये हैं, ऐसे बाप को फालो कर रूहानी सर्विस करनी है,
2) कोई उल्टी-सुल्टी बात बोले तो चुप रहना है, मुख की ताली नहीं बजानी है। सहन करना है।
वरदान:- एक स्थान पर रहते अनेक आत्माओं की सेवा करने वाले लाइट-माइट सम्पन्न भव
जैसे लाइट हाउस एक स्थान पर स्थित होते दूर-दूर की सेवा करता है। ऐसे आप सभी एक स्थान
स्लोगन:- अब आप ब्राह्मण आत्मायें माइट बनो और दूसरी आत्माओं को माइक बनाओ।
यही रूहानी खुराक एक दो को खिलाते सबकी खातिरी करते रहो
प्रश्न:- विश्व का राज्य भाग्य लेने के लिए कौन सी एक मेहनत करो? पक्की-पक्की आदत डालो?
उत्तर:- ज्ञान के तीसरे नेत्र से अकाल तख्तनशीन आत्मा भाई को देखने की मेहनत करो। भाई-भाई
समझ सभी को ज्ञान दो। पहले खुद को आत्मा समझ फिर भाईयों को समझाओ, यह आदत डालो
तो विश्व का राज्य भाग्य मिल जायेगा। इसी आदत से शरीर का भान निकल जायेगा, माया के तूफान
वा बुरे संकल्प भी नहीं आयेंगे। दूसरों को ज्ञान का तीर भी अच्छा लगेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप बच्चों की रूहानी सर्विस पर आये हैं, ऐसे बाप को फालो कर रूहानी सर्विस करनी है,
बाप के डायरेक्शन पर चल, खुशी की खुराक खानी और खिलानी है।
2) कोई उल्टी-सुल्टी बात बोले तो चुप रहना है, मुख की ताली नहीं बजानी है। सहन करना है।
वरदान:- एक स्थान पर रहते अनेक आत्माओं की सेवा करने वाले लाइट-माइट सम्पन्न भव
जैसे लाइट हाउस एक स्थान पर स्थित होते दूर-दूर की सेवा करता है। ऐसे आप सभी एक स्थान
पर होते अनेकों की सेवा अर्थ निमित्त बन सकते हो इसमें सिर्फ लाइट-माइट से सम्पन्न बनने की
आवश्यकता है। मन-बुद्धि सदा व्यर्थ सोचने से मुक्त हो, मन्मनाभव के मन्त्र का सहज स्वरूप हो -
मन्सा शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना, श्रेष्ठ वृत्ति और श्रेष्ठ वायब्रेशन से सम्पन्न हो तो यह सेवा सहज
कर सकते हो। यही मन्सा सेवा है।
स्लोगन:- अब आप ब्राह्मण आत्मायें माइट बनो और दूसरी आत्माओं को माइक बनाओ।