Friday, January 31, 2014

Murli-[31-1-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - सदा याद रखो कि हम ब्राह्मण चोटी हैं, पुरूषोत्तम बन रहे हैं तो हर्षित रहेंगे, 
अपने आप से बातें करना सीखो तो अपार खुशी रहेगी।'' 

प्रश्न:- बाप की शरण में कौन आ सकते हैं? बाप शरण किसको देते हैं? 
उत्तर:- बाप की शरण में वही आ सकते हैं जो पूरा-पूरा नष्टोमोहा हो। जिनका बुद्धियोग सब तरफ़ से टूटा हुआ हो। 
मित्र सम्बन्धियों आदि में बुद्धि की लागत न हो। बुद्धि में रहे मेरा तो एक बाबा दूसरा न कोई। ऐसे बच्चे ही 
सर्विस कर सकते हैं। बाप भी ऐसे बच्चों को ही शरण देते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सदा हर्षित रहने के लिए रूहानी सर्विस करनी है, सच्ची कमाई करनी और करानी है। अपना और दूसरों का 
कल्याण करना है। ट्रेन में भी बैज पर सर्विस करनी है। 

2) पुरानी दुनिया से दिल हटा लेनी है। नष्टोमोहा बनना है, एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है। 

वरदान:- स्व के राज्य द्वारा अपने साथियों को स्नेही सहयोगी बनाने वाले मास्टर दाता भव 

राजा अर्थात् दाता। दाता को कहना वा मांगना नहीं पड़ता। स्वयं हर एक राजाओं को अपने स्नेह की सौगात 
आफर करते हैं। आप भी स्व पर राज्य करने वाले राजा बनो तो हर एक आपके आगे सहयोग की सौगात 
आफर करेंगे। जिसका स्व पर राज्य है उसके आगे लौकिक अलौकिक साथी जी हाजिर, जी हजूर, हाँ जी 
कहते हुए स्नेही-सहयोगी बनते हैं। परिवार में कभी आर्डर नहीं चलाना, अपनी कर्मेन्द्रियों को आर्डर में 
रखना तो आपके सर्व साथी आपके स्नेही, सहयोगी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- सर्व प्राप्ति के साधन होते भी वृत्ति उपराम रहे तब कहेंगे वैराग्य वृत्ति।