Saturday, January 4, 2014

Murli-[4-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें वन्डर खाना चाहिए कि हमें कैसा मीठा बाप मिला है जिसे कोई भी आश 
नहीं और दाता कितना जबरदस्त है, लेने की जरा भी तमन्ना नहीं।'' 

प्रश्न:- बाप का वन्डरफुल पार्ट कौन सा है? 100 प्रतिशत निष्कामी बाप किस कामना से सृष्टि पर आया है? 
उत्तर:- बाबा का वन्डरफुल पार्ट है पढ़ाने का। वह सर्विस के लिए ही आते हैं। पालना करते हैं। पुचकार देकर 
कहते हैं मीठे बच्चे यह करो। ज्ञान सुनाते हैं, लेते कुछ नहीं। 100 प्रतिशत निष्कामी बाप को कामना हुई है 
मैं अपने बच्चों को जाकर रास्ता बताऊं। सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का समाचार सुनाऊं। बच्चे गुणवान बनें
... बाप की यही कामना है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) साक्षी होकर स्वयं के पार्ट को देखो - हम अच्छी रीति पढ़कर दूसरों को पढ़ाते हैं या नहीं? आप समान 
बनाने की सेवा करते हैं? अपना समय दुनियावी बातों में बरबाद मत करो। 

2) अन्तर्मुखी बन अपने आपको सुधारना है। अपने कल्याण का शौक रखना है। सर्विस में बिजी रहना है। 
बाप समान रहमदिल ज़रूर बनना है। 

वरदान:- शरीर की व्याधियों के चिंतन से मुक्त, ज्ञान चिंतन वा स्वचिंतन करने वाले शुभचिंतक भव 

एक है शरीर की व्याधि आना, एक है व्याधि में हिल जाना। व्याधि आना यह तो भावी है लेकिन श्रेष्ठ स्थिति 
का हिल जाना - यह बन्धनयुक्त की निशानी है। जो शरीर की व्याधि के चिंतन से मुक्त रह स्वचिंतन, ज्ञान 
चिंतन करते हैं वही शुभचिंतक हैं। प्रकृति का चिंतन ज्यादा करने से चिंता का रूप हो जाता है। इस बन्धन 
से मुक्त होना इसको ही कर्मातीत स्थिति कहा जाता है। 

स्लोगन:- स्नेह की शक्ति समस्या रूपी पहाड़ को पानी जैसा हल्का बना देती है।