Sunday, January 26, 2014

Murli-[25-1-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - मनुष्य शरीर की उन्नति का प्रबन्ध रचते, आत्मा की उन्नति वा 
चढ़ती का साधन बाप ही बतलाते हैं - यह बाप की ही रेसपान्सिबिल्टी है'' 

प्रश्न:- सदा बच्चों की उन्नति होती रहे उसके लिए बाप कौन-कौन सी श्रीमत देते हैं? 
उत्तर:- बच्चे, अपनी उन्नति के लिए 1- सदा याद की यात्रा पर रहो। याद से ही आत्मा की जंक 
निकलेगी। 2- कभी भी बीती को याद नहीं करो और आगे के लिए कोई आश न रखो। 3- शरीर 
निर्वाह के लिए कर्म भले करो लेकिन जो भी टाइम मिले वह वेस्ट नहीं करो, बाप की याद में 
टाइम सफल करो। 4- कम से कम 8 घण्टा ईश्वरीय सेवा करो तो तुम्हारी उन्नति होती रहेगी। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कम से कम 8 घण्टा ईश्वरीय गवर्मेंन्ट की सर्विस कर अपना टाइम सफल करना है। बाप जैसा 
गुणवान बनना है। 

2) जो बीता उसे याद नहीं करना है। बीती को बीती कर सदैव हर्षित रहना है। ड्रामा पर अडोल रहना है। 

वरदान:- पुराने स्वभाव-संस्कार के बोझ को समाप्त कर डबल लाइट रहने वाले फरिश्ता भव 

जब बाप के बन गये तो सारा बोझ बाप को दे दो। पुराने स्वभाव संस्कार का थोड़ा बोझ भी रहा हुआ 
होगा तो ऊपर से नीचे ले आयेगा। उड़ती कला का अनुभव करने नहीं देगा इसलिए बापदादा कहते 
हैं सब दे दो। यह रावण की प्रापर्टी अपने पास रखेंगे तो दु:ख ही पायेंगे। फरिश्ता अर्थात् जरा भी 
रावण की प्रापर्टी न हो। सब पुराने खाते भस्म करो तब कहेंगे डबल लाइट फरिश्ता। 

स्लोगन:- निर्भय और हर्षितमुख हो बेहद के खेल को देखो तो हलचल में नहीं आयेंगे।