मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यहाँ तुम वनवाह में हो, अच्छा-अच्छा पहनना, खाना... यह शौक तुम
प्रश्न:- ज्ञान रत्नों से सदा भरपूर रहने का साधन क्या है?
उत्तर:- दान। जितना-जितना दूसरों को दान करेंगे उतना स्वयं भरपूर रहेंगे। सयाने वह जो सुनकर
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूप-बसन्त बन अपनी बुद्धि रूपी झोली अविनाशी ज्ञान रत्नों से सदा भरपूर रखनी है। बुद्धि रूपी
2) स्कालरशिप लेने के लिए पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी है। पूरा वनवाह में रहना है। किसी भी प्रकार
वरदान:- पवित्रता की शक्तिशाली दृष्टि वृत्ति द्वारा सर्व प्राप्तियां कराने वाले दु:खहर्ता सुखकर्ता भव
साइंस की दवाई में अल्पकाल की शक्ति है जो दु:ख दर्द को समाप्त कर लेती है लेकिन पवित्रता की शक्ति
स्लोगन:- समय की समीपता प्रमाण सच्ची तपस्या वा साधना है ही बेहद का वैराग्य।
बच्चों में नहीं होना चाहिए, पढ़ाई और कैरेक्टर पर पूरा-पूरा ध्यान दो''
प्रश्न:- ज्ञान रत्नों से सदा भरपूर रहने का साधन क्या है?
उत्तर:- दान। जितना-जितना दूसरों को दान करेंगे उतना स्वयं भरपूर रहेंगे। सयाने वह जो सुनकर
धारण करे और फिर दूसरों को दान करे। बुद्धि रूपी झोली में अगर छेद होगा तो बह जायेगा, धारणा
नहीं होगी इसलिए कायदे अनुसार पढ़ाई पढ़नी है। 5विकारों से दूर रहना है। रूप-बसन्त बनना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रूप-बसन्त बन अपनी बुद्धि रूपी झोली अविनाशी ज्ञान रत्नों से सदा भरपूर रखनी है। बुद्धि रूपी
झोली में कोई छेद न हो। ज्ञान रत्न धारण कर दूसरों को दान करना है।
2) स्कालरशिप लेने के लिए पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी है। पूरा वनवाह में रहना है। किसी भी प्रकार
का शौक नहीं रखना है। खुशबूदार फूल बनकर दूसरों को बनाना है।
वरदान:- पवित्रता की शक्तिशाली दृष्टि वृत्ति द्वारा सर्व प्राप्तियां कराने वाले दु:खहर्ता सुखकर्ता भव
साइंस की दवाई में अल्पकाल की शक्ति है जो दु:ख दर्द को समाप्त कर लेती है लेकिन पवित्रता की शक्ति
अर्थात् साइलेन्स की शक्ति में तो दुआ की शक्ति है। यह पवित्रता की शक्तिशाली दृष्टि वा वृत्ति सदाकाल
की प्राप्ति कराने वाली है इसलिए आपके जड़ चित्रों के सामने ओ दयालू, दया करो कहकर दया वा दुआ
मांगते हैं। तो जब चैतन्य में ऐसे मास्टर दु:खहर्ता सुखकर्ता बन दया की है तब तो भक्ति में पूजे जाते हो।
स्लोगन:- समय की समीपता प्रमाण सच्ची तपस्या वा साधना है ही बेहद का वैराग्य।