Tuesday, January 28, 2014

Murli-[28-1-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाबा को प्यार से याद करते रहो, श्रीमत पर सदा चलो, पढ़ाई पर 
पूरा अटेन्शन दो तो तुम्हें सब रिगॉर्ड देंगे।'' 

प्रश्न:- अतीन्द्रिय सुख का अनुभव किन बच्चों को हो सकता है? 
उत्तर:- 1- जो देही-अभिमानी हैं, इसके लिए जब किसी से बात करते हो या समझाते हो तो 
समझो मैं आत्मा भाई से बात करता हूँ। भाई-भाई की दृष्टि पक्की करने से देही-अभिमानी 
बनते जायेंगे। 2- जिन्हें नशा है कि हम भगवान के स्टूडेन्ट हैं उन्हें ही अतीन्द्रिय सुख का 
अनुभव होगा। 

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सत्य ज्ञान को बुद्धि में धारण करने के लिए बुद्धि रूपी बर्तन को साफ़ स्वच्छ बनाना है। 
व्यर्थ बातों को बुद्धि से निकाल देना है। 

2) दैवी गुणों की धारणा और पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन दे अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करना है। 
सदा इसी नशे में रहना है कि हम भगवान के बच्चे हैं, वही हमको पढ़ाते हैं। 

वरदान:- पुरानी देह वा दुनिया की सर्व आकर्षणों से सहज और सदा दूर रहने वाले राजऋषि भव 

राजऋषि अर्थात् एक तरफ सर्व प्राप्ति के अधिकार का नशा और दूसरे तरफ बेहद के वैराग्य का 
अलौकिक नशा। वर्तमान समय इन दोनों अभ्यास को बढ़ाते चलो। वैराग्य माना किनारा नहीं 
लेकिन सर्व प्राप्ति होते भी हद की आकर्षण मन बुद्धि को आकर्षण में नहीं लाये। संकल्प मात्र 
भी अधीनता न हो इसको कहते हैं राजऋषि अर्थात् बेहद के वैरागी। यह पुरानी देह वा देह की 
पुरानी दुनिया, व्यक्त भाव, वैभवों का भाव इन सब आकर्षणों से सदा और सहज दूर रहने वाले। 

स्लोगन:- साइंस के साधनों को यूज़ करो लेकिन अपने जीवन का आधार नहीं बनाओ।