मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - मुख्य है याद की यात्रा, याद से ही आयु बढ़ेगी, विकर्म विनाश होंगे,
प्रश्न:- तुम बच्चों को देवताओं से भी जास्ती खुशी होनी चाहिए - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि तुमको अभी बहुत बड़ी लाटरी मिली है। भगवान तुम्हें पढ़ाते हैं। सतयुग में देवता,
गीत:- जाग सजनियाँ जाग....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विकर्म विनाश करने वा आयु को बढ़ाने के लिए याद की यात्रा में ज़रूर रहना है। याद से ही पावन
2) देवताओं समान मीठा बनना है। ऐसा वैसा कोई शब्द बोलने के बजाए न बोलना अच्छा है।
वरदान:- कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रख, अपने को सैम्पुल समझने वाले न्यारे और प्यारे भव
प्रवृत्ति में रहने वालों का सिम्बल है ``कमल पुष्प''। तो कमल बनो और अमल करो। अगर अमल नहीं
स्लोगन:- स्नेह की छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती।
याद में रहने वालों की अवस्था बोल-चाल बहुत फर्स्टक्लास होगा''
प्रश्न:- तुम बच्चों को देवताओं से भी जास्ती खुशी होनी चाहिए - क्यों?
उत्तर:- क्योंकि तुमको अभी बहुत बड़ी लाटरी मिली है। भगवान तुम्हें पढ़ाते हैं। सतयुग में देवता,
देवताओं को पढ़ायेंगे। यहाँ मनुष्य, मनुष्यों को पढ़ाते हैं लेकिन तुम आत्माओं को स्वयं परमात्मा
पढ़ा रहे हैं। तुम अभी स्वदर्शन चक्रधारी बन रहे हो। तुम्हारे में सारी नॉलेज है। देवताओं में यह
नॉलेज भी नहीं।
गीत:- जाग सजनियाँ जाग....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विकर्म विनाश करने वा आयु को बढ़ाने के लिए याद की यात्रा में ज़रूर रहना है। याद से ही पावन
बनेंगे इसलिए कम से कम 8 घण्टा याद का चार्ट बनाना है।
2) देवताओं समान मीठा बनना है। ऐसा वैसा कोई शब्द बोलने के बजाए न बोलना अच्छा है।
रूहानी वा स्थूल सर्विस करते बाप की याद रहे तो अहो भाग्य।
वरदान:- कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रख, अपने को सैम्पुल समझने वाले न्यारे और प्यारे भव
प्रवृत्ति में रहने वालों का सिम्बल है ``कमल पुष्प''। तो कमल बनो और अमल करो। अगर अमल नहीं
करते तो कमल नहीं बन सकते। तो कमल पुष्प का सिम्बल बुद्धि में रख स्वयं को सैम्पुल समझकर
चलो। सेवा करते न्यारे और प्यारे बनो। सिर्फ प्यारे नहीं बनना लेकिन न्यारे बन प्यारे बनना क्योंकि
प्यार कभी लगाव के रूप में बदल जाता है, इसलिए कोई भी सेवा करते न्यारे और प्यारे बनो।
स्लोगन:- स्नेह की छत्रछाया के अन्दर माया आ नहीं सकती।