Friday, January 24, 2014

Murli-[24-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अपने को आत्मा समझ, आत्मा भाई से बात करो, ऐसी दृष्टि पक्की करो 
तो भूत प्रवेश नहीं करेंगे, जब कोई में भूत देखो तो उससे किनारा कर लो'' 

प्रश्न:- बाप का बनने के बाद भी आस्तिक और नास्तिक बच्चे हैं, वह कैसे? 
उत्तर:- आस्तिक वह हैं जो ईश्वरीय कायदों का पालन करते, देही-अभिमानी रहने का पुरूषार्थ करते 
और नास्तिक वह हैं जो ईश्वरीय कायदों के खिलाफ भूतों के वश हो आपस में लड़ते झगड़ते हैं। 
2- आस्तिक बच्चे देह सहित देह के सब सम्बन्धों से बुद्धियोग तोड़ अपने को भाई-भाई समझते हैं। 
नास्तिक देह-अभिमान में रहते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कोई भी बात ईश्वरीय कायदे के खिलाफ नहीं करनी है। किसी में भी अगर भूत की प्रवेशता है 
या दृष्टि खराब है तो उसके सामने से हट जाना है, उनसे जास्ती बात नहीं करनी है। 

2) स्थाई खुशी में रहने के लिए पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। आसुरी गुणों को निकाल दैवीगुण 
धारण कर आस्तिक बनना है। 

वरदान:- ईश्वरीय विधान को समझ विधि से सिद्धि प्राप्त करने वाले फर्स्ट डिवीजन के अधिकारी भव 

एक कदम की हिम्मत तो पदम कदमों की मदद - ड्रामा में इस विधान की विधि नूंधी हुई है। अगर यह 
विधि, विधान में नहीं होती तो सभी विश्व के पहले राजा बन जाते। नम्बरवार बनने का विधान इस 
विधि के कारण ही बनता है। तो जितना चाहे हिम्मत रखो और मदद लो। चाहे सरेन्डर हो, चाहे 
प्रवृत्ति वाले हो - अधिकार समान है लेकिन विधि से सिद्धि है। इस ईश्वरीय विधान को समझ 
अलबेलेपन की लीला को समाप्त करो तो फर्स्ट डिवीजन का अधिकार मिल जायेगा। 

स्लोगन:- संकल्प के खजाने के प्रति एकानामी के अवतार बनो।