Wednesday, January 1, 2014

Murli-[1-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें सम्पूर्ण पावन बनना है इसलिए कभी किसको दु:ख नहीं दो, 
कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म न हो, सदा बाप के फरमान पर चलते रहो।'' 

प्रश्न:- पत्थर से पारस बनने की युक्ति क्या है? कौन सी बीमारी इसमें विघ्न रूप बनती है? 
उत्तर:- पत्थर से पारस बनने के लिए पूरा नारायणी नशा चाहिए। देह-अभिमान टूटा हुआ हो। 
यह देह-अभिमान ही कड़े ते कड़ी बीमारी है। जब तक देही-अभिमानी नहीं तब तक पारस नहीं 
बन सकते। पारस बनने वाले ही बाप के मददगार बन सकते हैं। 2. सर्विस भी तुम्हारी बुद्धि 
को सोने का बना देगी। इसके लिए पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन चाहिए। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मन्सा, वाचा, कर्मणा पवित्र रहना है। कर्मेन्द्रियों से कोई विकर्म न हो - इसकी सम्भाल करनी है। 
आत्मा को कंचन बनाने के लिए याद में जरूर रहना है। 

2) देह-अभिमान की कड़ी बीमारी से छूटने के लिए नारायणी नशे में रहना है। अभ्यास करो हम 
अशरीरी आये थे, अब अशरीरी बनकर वापस जाना है। 

वरदान:- सदा उमंग-उत्साह में रह मन से खुशी के गीत गाने वाले अविनाशी खुशनसीब भव 

आप खुशनसीब बच्चे अविनाशी विधि से अविनाशी सिद्धियां प्राप्त करते हो। आपके मन से 
सदा वाह-वाह की खुशी के गीत बजते रहते हैं। वाह बाबा! वाह तकदीर! वाह मीठा परिवार! 
वाह श्रेष्ठ संगम का सुहावना समय! हर कर्म वाह-वाह है इसलिए आप अविनाशी खुशनसीब 
हो। आपके मन में कभी व्हाई, आई (क्यों, मैं) नहीं आ सकता। व्हाई के बजाए वाह-वाह और 
आई के बजाए बाबा-बाबा शब्द ही आता है। 

स्लोगन:- जो संकल्प करते हो उसे अविनाशी गवर्मेन्ट की स्टैम्प लगा दो तो अटल रहेंगे।