मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - इस पुरूषोत्तम संगमयुग में पुरूषोत्तम बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करो,
प्रश्न:- तुम बच्चे बहुत बड़े व्यापारी हो, तुम्हें हमेशा किस बात पर ध्यान दे विचार करना चाहिए?
उत्तर:- हमेशा घाटे और फायदे पर विचार करो। अगर इस पर विचार नहीं किया तो प्रजा में दास
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संग से अपनी बहुत सम्भाल करनी है। एक सत बाप का संग करना है। माया 5 विकारों के संग
2) पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। अपनी मस्ती में रहो। कहा जाता अपनी घोट तो नशा चढ़े। एक
वरदान:- सेवाओं की प्रवृत्ति में रहते बीच-बीच में एकान्तवासी बनने वाले अन्तर्मुखी भव
साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करने के लिए अन्तर्मुखी और एकान्तवासी बनने की आवश्यकता है।
स्लोगन:- ब्राह्मण जीवन में युद्ध करने के बजाए मौज मनाओ तो मुश्किल भी सहज हो जायेगा।
जितना हो सके याद और पढ़ाई पर अटेन्शन दो''
प्रश्न:- तुम बच्चे बहुत बड़े व्यापारी हो, तुम्हें हमेशा किस बात पर ध्यान दे विचार करना चाहिए?
उत्तर:- हमेशा घाटे और फायदे पर विचार करो। अगर इस पर विचार नहीं किया तो प्रजा में दास
दासी बनना पड़ेगा। बाप 21 जन्मों की राजाई का जो वर्सा देते हैं उसे गँवा देंगे इसलिए बाप से पूरा
सौदा करना है। बाप है दाता, तुम बच्चे सुदामे मिसल चावल मुट्ठी देते हो और विश्व की बादशाही
लेते हो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संग से अपनी बहुत सम्भाल करनी है। एक सत बाप का संग करना है। माया 5 विकारों के संग
से बहुत दूर रहना है।
2) पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। अपनी मस्ती में रहो। कहा जाता अपनी घोट तो नशा चढ़े। एक
दिन भी पढ़ाई मिस मत करो।
वरदान:- सेवाओं की प्रवृत्ति में रहते बीच-बीच में एकान्तवासी बनने वाले अन्तर्मुखी भव
साइलेन्स की शक्ति का प्रयोग करने के लिए अन्तर्मुखी और एकान्तवासी बनने की आवश्यकता है।
कई बच्चे कहते हैं अन्तर्मुखी स्थिति का अनुभव करने वा एकान्तवासी बनने के लिए समय ही नहीं
मिलता क्योंकि सेवा की प्रवृत्ति, वाणी के शक्ति की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है लेकिन इसके लिए इकट्ठा
आधा घण्टा वा एक घण्टा निकालने के बजाए बीच-बीच में थोड़ा समय भी निकालो तो शक्तिशाली
स्थिति बन जायेगी।
स्लोगन:- ब्राह्मण जीवन में युद्ध करने के बजाए मौज मनाओ तो मुश्किल भी सहज हो जायेगा।