Tuesday, February 24, 2015

मुरली 25 फरवरी 2015

“मीठे बच्चे - तुमने अब तक जो कुछ पढ़ा है उसे भूल जाओ, जीते जी मरना माना सब कुछ भूलना, पिछला कुछ भी याद न आये” प्रश्न:- जो पूरा जीते जी मरे हुए नहीं हैं उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- वह बाप से भी आरग्यु करते रहेंगे । शास्त्रों का मिसाल देते रहेंगे । जो पूरा मर गये वह कहेंगे बाबा जो सुनाते वही सच है । हमने आधाकल्प जो सुना वह झूठ ही था इसलिए अब उसे मुख पर भी न लायें । बाप ने कहा है हियर नो ईविल........ गीत : - ओम नमो शिवाए.. धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए पढ़ाई का शौक रखना है । सवेरे-सवेरे उठकर पढ़ाई पढ़नी है । साक्षात्कार की आश नहीं रखनी है, इसमें भी टाइम वेस्ट जाता है । 2. शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है, इस दु :खधाम को भूल जाना है । किसी से भी आरग्यु नहीं करनी है, प्रेम से मुक्ति और जीवनमुक्तिधाम का रास्ता बताना है । वरदान:- सदा बेहद की स्थिति में स्थित रहने वाले बन्धनमुक्त, जीवनमुक्त भव ! देह-अभिमान हद की स्थिति है और देही अभिमानी बनना-यह है बेहद की स्थिति । देह में आने से अनेक कर्म के बन्धनों में, हद में आना पड़ता है लेकिन जब देही बन जाते हो तो ये सब बन्धन खत्म हो जाते हैं । जैसे कहा जाता बन्धनमुक्त ही जीवनमुक्त है, ऐसे जो बेहद की स्थिति में स्थित रहते हैं वह दुनिया के वायुमण्डल, वायब्रेशन, तमोगुणी वृत्तियां, माया के वार इन सबसे मुक्त हो जाते हैं । इसको ही कहा जाता है जीवनमुक्त स्थिति, जिसका अनुभव संगमयुग पर ही करना है । स्लोगन:- निश्चयबुद्धि की निशानी-निश्चित विजयी और निश्चिंत उनके पास व्यर्थ आ नहीं सकता । ओम् शान्ति |