Thursday, February 19, 2015
मुरली 20 फरवरी 2015
“मीठे बच्चे - बाप तुम्हारा मेहमान बनकर आया है तो तुम्हें आदर करना है, जैसे प्रेम से बुलाया है ऐसे आदर भी करना है, निरादर न हो”
प्रश्न:-
कौन-सा नशा तुम बच्चों को सदा चढ़ा रहना चाहिए? यदि नशा नहीं चढ़ता है तो क्या कहेंगे?
उत्तर:-
ऊंचे ते ऊँची आसामी इस पतित दुनिया में हमारा मेहमान बनकर आया है, यह नशा सदा चढ़ा रहना चाहिए । परन्तु नम्बरवार यह नशा चढ़ता है । कई तो बाप का बनकर भी संशयबुद्धि बन हाथ छोड़ जाते तो कहेंगे इनकी तकदीर ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. सदा ही हाइएस्ट अथॉरिटी बाप की याद में रहना है । विनाशी देह को न देख देही- अभिमानी बनने की मेहनत करनी है । याद का सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है ।
2. दिन-रात सर्विस में तत्पर रह अपार खुशी में रहना है । तीनों लोकों का राज सबको खुशी से समझाना है । शिवबाबा जो श्रीमत देते हैं उसमें अटूट निश्चय रखकर चलना है, कोई भी विघ्न आये तो घबराना नहीं है, रेसपॉन्सिबुल शिवबाबा है, इसलिए संशय न आये ।
वरदान:-
निरन्तर याद द्वारा अविनाशी कमाई जमा करने वाले सर्व खजानों के अधिकारी भव !
निरन्तर याद द्वारा हर कदम में कमाई जमा करते रहो तो सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम... इन सब खजानों के अधिकार का अनुभव करते रहेंगे । कोई कष्ट, कष्ट अनुभव नहीं होंगे । संगम पर ब्राह्मणों को कोई कष्ट हो नहीं सकता । यदि कोई कष्ट आता भी है तो बाप की याद दिलाने के लिए, जैसे गुलाब के पुष्प के साथ कांटा उनके बचाव का साधन होता है । वैसे यह तकलीफें और ही बाप की याद दिलाने के निमित्त बनती हैं ।
स्लोगन:-
स्नेह रूप का अनुभव तो सुनाते हो अब शक्ति रूप का अनुभव सुनाओ ।
ओम् शांति |