Monday, February 16, 2015

मुरली 17 फरवरी 2015

“मीठे बच्चे - बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ रीति जानकर याद करना, यही मुख्य बात है, मनुष्यों को यह बात बहुत युक्ति से समझानी है |”    प्रश्न:-     सारे युनिवर्स के लिए कौन-सी पढ़ाई है जो यहाँ ही तुम पढ़ते हो? उत्तर:- सारे युनिवर्स के लिए यही पढ़ाई है कि तुम सब आत्मा हो । आत्मा समझकर बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे । सारे युनिवर्स का जो बाप है वह एक ही बार आते हैं सबको पावन बनाने । वही रचता और रचना की नॉलेज देते हैं इसलिए वास्तव में यह एक ही युनिवर्सिटी है, यह बात बच्चों को स्पष्ट कर समझानी है । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. माया की बॉक्सिंग में हारना नहीं है । ध्यान रहे कभी मुख से कुवचन न निकले, कुदृष्टि, कुचलन, कुकर्म न हो जाए । 2. फर्स्टक्लास खुशबूदार फूल बनना है । नशा रहे कि स्वयं भगवान हमको पढ़ाते हैं । बाप की याद में रह सदैव हर्षित रहना है,कभी मुरझाना नहीं है । वरदान:- ड्रामा की नॉलेज से अचल स्थिति बनाने वाले प्रकृति या मायाजीत भव !    प्रकृति वा माया द्वारा कैसा भी पेपर आये लेकिन जरा भी हलचल न हो । यह क्या, यह क्यों, यह क्वेश्चन भी उठा, जरा भी कोई समस्या वार करने वाली बन गई तो फेल हो जायेंगे इसलिए कुछ भी हो लेकिन अन्दर से यह आवाज निकले कि वाह मीठा ड्रामा वाह! हाय क्या हुआ! यह संकल्प भी न आये । ऐसी स्थिति हो जो कोई संकल्प में भी हलचल न हो । सदा अचल, अडोल स्थिति रहे तब प्रकृतिजीत व मायाजीत का वरदान प्राप्त होगा । स्लोगन:-  खुशखबरी सुनाकर खुशी दिलाना यही सबसे श्रेष्ठ कर्तव्य है ।    ओम् शांति