Wednesday, February 25, 2015
मुरली 26 फरवरी 2015
“मीठे बच्चे - अब विकारों का दान दो तो ग्रहण उतर जाये और यह तमोप्रधान दुनिया सतोप्रधान बनें”
प्रश्न:-
तुम बच्चों को किस बात से कभी भी तंग नहीं होना चाहिए?
उत्तर:-
तुम्हें अपनी लाइफ (जीवन) से कभी भी तंग नहीं होना चाहिए क्योंकि यह हीरे जैसा जन्म गाया हुआ हैं, इनकी सम्भाल भी करनी हैं, तन्दुरूस्त होंगे तो नॉलेज सुनते रहेंगे । यहाँ जितना दिन जियेंगे, कमाई होती रहेगी, हिसाब-किताब चुक्तू होता रहेगा ।
गीत : - ओम नमो शिवाए..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. एक बाप की अव्यभिचारी याद में रह देह- भान को खत्म करना है । अपनी कर्मातीत अवस्था बनाने का पुरूषार्थ करना है । इस शरीर में रहते अविनाशी कमाई जमा करनी है ।
2. ज्ञानी तू आत्मा बन औरों की सर्विस करनी है, बाप से जो सुना है उसे धारण कर दूसरों को सुनाना है । 5 विकारों का दान दे राहू के ग्रहण से मुक्त होना है ।
वरदान:-
माया के खेल को साक्षी होकर देखने वाले सदा निर्भय, मायाजीत भव !
समय प्रति समय जैसे आप बच्चों की स्टेज आगे बढ़ती जा रही है, ऐसे अब माया का वार नहीं होना चाहिए, माया नमस्कार करने आये वार करने नहीं । यदि माया आ भी जाए तो उसे खेल समझकर देखो । ऐसे अनुभव हो जैसे साक्षी होकर हद का ड्रामा देखते हैं । माया का कैसा भी विकराल रूप हो आप उसे खिलौना और खेल समझकर देखेंगे तो बहुत मजा आयेगा, फिर उससे डरेंगे वा घबरायेंगे नहीं । जो बच्चे सदा खिलाड़ी बनकर साक्षी हो माया का खेल देखते हैं वह सदा निर्भय वा मायाजीत बन जाते हैं ।
स्लोगन:-
ऐसा स्नेह का सागर बनो जो क्रोध समीप भी न आ सके ।
ओम् शान्ति |