Sunday, February 15, 2015

मुरली 16 फरवरी 2015

“मीठे बच्चे - तुम बहुत बड़े जौहरी हो, तुम्हें अविनाशी ज्ञान रत्नों रूपी जवाहरात देकर सबको साहूकार बनाना है |”    प्रश्न:-     अपने जीवन को हीरे जैसा बनाने के लिए किस बात की बहुत-बहुत सम्भाल चाहिए? उत्तर:- संग की । बच्चों को संग उनका करना चाहिए जो अच्छा बरसते हैं । जो बरसते नहीं, उनका संग रखने से फायदा ही क्या! संग का दोष बहुत लगता है, कोई किसके संग से हीरे जैसा बन जाते हैं, कोई फिर किसके संग से ठिक्कर बन जाते हैं । जो ज्ञानवान होंगे वह आपसमान जरूर बनायेंगे । संग से अपनी सम्भाल रखेंगे । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. बाप जो पढ़ाते हैं, उसका रिटर्न गुल-गुल (फूल) बनकर दिखाना है । मेहनत करनी है । कभी भी ईश्वरीय कुल का नाम बदनाम नहीं करना है, जो ज्ञानवान और योगी हैं, उनका ही संग करना है । 2. मैं-पन का त्याग कर निरहंकारी बन रूहानी सेवा करनी है, इसे अपना फर्ज समझना है । अहंकार में नहीं आना है । वरदान:- कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति द्वारा श्रेष्ठ स्थिति की सीट पर सेट रहने वाले सदा सम्पन्न भव !    संगमयुग पर शिव शक्ति के कम्बाइन्ड स्वरूप की स्मृति में रहने से हर असम्भव कार्य सम्भव हो जाता है । यही सर्व श्रेष्ठ स्वरूप है । इस स्वरूप में स्थित रहने से सम्पन्न भव का वरदान मिल जाता है । बापदादा सभी बच्चों को सदा सुखदाई स्थिति की सीट देते हैं । सदा इसी सीट पर सेट रहो तो अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलते रहेंगे सिर्फ विस्मृति के संस्कार समाप्त करो । स्लोगन:-  पावरफुल वृत्ति द्वारा आत्माओं को योग्य और योगी बनाओ ।    ओम् शांति |