Saturday, February 7, 2015

मुरली 06 फरवरी 2015

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम आत्माओं का स्वधर्म शान्ति है, तुम्हारा देश शान्तिधाम है, 
तुम आत्मा शान्त स्वरूप हो इसलिए तुम शान्ति मांग नहीं सकते'' 

प्रश्न:- तुम्हारा योगबल कौन-सी कमाल करता है? 
उत्तर:- योगबल से तुम सारी दुनिया को पवित्र बनाते हो, तुम कितने थोड़े बच्चे योगबल से 
यह सारा पहाड़ उठाए सोने का पहाड़ स्थापन करते हो। 5 तत्व सतोप्रधान हो जाते हैं, अच्छा
फल देते हैं। सतोप्रधान तत्वों से यह शरीर भी सतोप्रधान होते हैं। वहाँ के फल भी बहुत 
बड़े-बड़े स्वादिष्ट होते हैं। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ईश्वरीय सर्विस कर अपना जीवन 21 जन्मों के लिए हीरे जैसा बनाना है। मात-पिता और 
अनन्य भाई-बहिनों को ही फालो करना है। 

2) कर्मातीत अवस्था बनाने के लिए देह सहित सबको भूलना है। अपनी याद अडोल और स्थाई 
बनानी है। देवताओं जैसा निर्लोभी, निर्मोही, निर्विकारी बनना है। 

वरदान:- विकारों रूपी सांप को भी शैया बनाने वाले विष्णु के समान सदा विजयी, निश्चिंत भव 

जो विष्णु की शेश शैया दिखाते हैं यह आप विजयी बच्चों के सहजयोगी जीवन का यादगार है। 
सहजयोग द्वारा विकारों रूपी सांप भी अधीन हो जाते हैं। जो बच्चे विकारों रूपी सांपों पर विजय 
प्राप्त कर उन्हें आराम की शैया बना देते हैं वह सदा विष्णु के समान हार्षित व निश्चिंत रहते हैं। 
तो सदा यह चित्र अपने सामने देखो कि विकारों को अधीन किया हुआ अधिकारी हूँ। आत्मा 
सदा आराम की स्थिति में निश्चिंत है। 

स्लोगन:- बालक और मालिक पन के बैलेन्स से प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ।