Sunday, February 8, 2015

मुरली 09 फरवरी 2015

प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - बाप तुम्हें अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान देते हैं, तुम फिर औरों को दान देते रहो, इसी दान से सद्गति हो जायेगी |” प्रश्न:- कौन-सा नया रास्ता तुम बच्चों के सिवाए कोई भी नहीं जानता है? उत्तर:- घर का रास्ता वा स्वर्ग जाने का रास्ता अभी बाप द्वारा तुम्हें मिला है । तुम जानते हो शान्तिधाम हम आत्माओं का घर है, स्वर्ग अलग है, शान्तिधाम अलग है । यह नया रास्ता तुम्हारे सिवाए कोई भी नहीं जानता । तुम कहते हो अब कुम्भकरण की नींद छोड़ो, आँख खोलो, पावन बनो । पावन बनकर ही घर जा सकेंगे । गीत:- जाग सजनियां जाग... ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. धर्मराज की सजाओं से बचने के लिए किसी की भी देह को याद नहीं करना है, इन आँखों से सब कुछ देखते हुए एक बाप को याद करना है, अशरीरी बनने का अभ्यास करना है । पावन बनना है । 2. मुक्ति और जीवनमुक्ति का रास्ता सबको बताना है । अब नाटक पूरा हुआ, घर जाना है-इस स्मृति से बेहद की आमदनी जमा करनी है । वरदान:- देह, सम्बन्ध और वैभवों के बन्धन से स्वतन्त्र बाप समान कर्मातीत भव ! जो निमित्त मात्र डायरेक्शन प्रमाण प्रवृत्ति को सम्भालते हुए आत्मिक स्वरूप में रहते हैं, मोह के कारण नहीं, उन्हें यदि अभी- अभी आर्डर हो कि चले आओ तो चले आयेंगे । बिगुल बजे और सोचने में ही समय न चला जाए - तब कहेंगे नष्टोमोहा इसलिए सदैव अपने को चेक करना है कि देह का, सम्बन्ध का, वैभवों का बन्धन अपनी ओर खींचता तो नहीं है । जहाँ बधन होगा वहाँ आकर्षण होगी । लेकिन जो स्वतन्त्र हैं वे बाप समान कर्मातीत स्थिति के समीप हैं । स्लोगन:- स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति रूप बनो तो राजधानी में नम्बर आगे मिल जायेगा । ओम् शान्ति |