Thursday, February 12, 2015

मुरली 13 फरवरी 2015

मुरली 13 फरवरी 2015 “मीठे बच्चे - तुम्हें बाप द्वारा जो अद्वैत मत मिल रही है, उस मत पर चलकर कलियुगी मनुष्यों को सतयुगी देवता बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य करना है |”    प्रश्न:-     सभी मनुष्य-मात्र दु:खी क्यों बने हैं, उसका मूल कारण क्या है? उत्तर:- रावण ने सभी को श्रापित कर दिया है, इसलिए सभी दु:खी बने हैं । बाप वर्सा देता, रावण श्राप देता-यह भी दुनिया नहीं जानती । बाप ने वर्सा दिया तब तो भारतवासी इतने सुखी स्वर्ग के मालिक बने, पूज्य बनें । श्रापित होने से पुजारी बन जाते हैं । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. विजय माला में आने के लिए बाप का मददगार बन सर्विस करनी है । एक माशूक के साथ सच्ची प्रीत रखनी है । एक को ही याद करना है । 2. अपनी एक्यूरेट एम ऑबजेक्ट को सामने रख पूरा पुरूषार्थ करना है । डबल अहिंसक बन मनुष्य को देवता बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य करते रहना है । वरदान:- आलमाइटी सत्ता के आधार पर आत्माओं को मालामाल बनाने वाले पुण्य आत्मा भव !    जैसे दान पुण्य की सत्ता वाले सकामी राजाओं में सत्ता की फुल पावर थी, जिस पावर के आधार पर चाहे किसी को क्या भी बना दें । ऐसे आप महादानी पुण्य आत्माओं को डायरेक्ट बाप द्वारा प्रकृतिजीत मायाजीत की विशेष सत्ता मिली हुई है । आप अपने शुद्ध संकल्प के आधार से किसी भी आत्मा का बाप से सम्बन्ध जोड़कर मालामाल बना सकते हो, सिर्फ इस सत्ता को यथार्थ रीति यूज करो । स्लोगन:-  जब आप सम्पूर्णता की बधाईयां मनायेंगे तब समय, प्रकृति और माया विदाई लेगी ।    ओम् शांति |