Wednesday, February 11, 2015
मुरली 12 फरवरी 2015
“मीठे बच्चे - तुम खुदाई खिदमतगार सच्चे सैलवेशन आर्मी हो, तुम्हें सबको शान्ति की सैलवेशन देनी है|”
प्रश्न:-
तुम बच्चों से जब कोई शान्ति की सैलवेशन मांगते हैं तो उन्हें क्या समझाना चाहिए?
उत्तर:-
उन्हें बोलो - बाप कहते हैं क्या अभी यहाँ ही तुमको शान्ति चाहिए । यह कोई शान्तिधाम नहीं है । शान्ति तो शान्तिधाम में ही हो सकती है, जिसको मूलवतन कहा जाता है । आत्मा को जब शरीर नहीं है तब शान्ति है । सतयुग में पवित्रता-सुख-शान्ति सब है । बाप ही आकर यह वर्सा देते हैं । तुम बाप को याद करो ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. 5 तत्वों के बने हुए इन शरीरों को देखते हुए याद बाप को करना है । कोई भी देहधारी से लागत (लगाव) नहीं रखना है । कोई विकर्म नहीं करना है ।
2. इस बने-बनाये ड्रामा में हर आत्मा का अनादि पार्ट है, आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है, इसलिए शरीर छोड़ने पर चिंता नहीं करनी है, मोहजीत बनना है ।
वरदान:-
हर सेकण्ड हर संकल्प के महत्व को जान पुण्य की पूंजी जमा करने वाले पदमापदमपति भव !
आप पुण्य आत्माओं के संकल्प में इतनी विशेष शक्ति है जिस शक्ति द्वारा असम्भव को सम्भव कर सकते हो । जैसे आजकल यन्त्रों द्वारा रेगिस्तान को हरा भरा कर देते हैं, पहाड़ियों पर फूल उगा देते हैं ऐसे आप अपने श्रेष्ठ संकल्पों द्वारा नाउम्मीदवार को उम्मीदवार बना सकते हो । सिर्फ हर सेकण्ड हर संकल्प की वैल्यु को जान, संकल्प और सेकण्ड को यूज कर पुण्य की पूंजी जमा करो । आपके संकल्प की शक्ति इतनी श्रेष्ठ है जो एक संकल्प भी पदमापदमपति बना देता है ।
स्लोगन:-
हर कर्म अधिकारी पन के निश्चय और नशे से करो तो मेहनत समाप्त हो जायेगी ।
ओम् शांति |