Friday, February 27, 2015

मुरली 28 फरवरी 2015

सार:- “मीठे बच्चे - तुम्हें जो बाप सुनाते हैं वही सुनोआसुरी बातें मत सुनोमत बोलोहियर नो इविलसी नो इविल...

प्रश्न:-  तुम बच्चों को कौन-सा निश्चय बाप द्वारा ही हुआ है?

उत्तर:- बाप तुम्हें निश्चय कराते कि मैं तुम्हारा बाप भी हूँटीचर भी हूँसतगुरू भी हूँतुम पुरूषार्थ करो इस स्मृति में रहने का । परन्तु माया तुम्हें यही भुलाती है । अज्ञान काल में तो माया की बात नहीं । 

प्रश्न:- कौन-सा चार्ट रखने में विशाल बुद्धि चाहिए?

उत्तर:- अपने को आत्मा समझकर बाप को कितना समय याद किया-इस चार्ट रखने में बड़ी विशाल बुद्धि चाहिए । देही- अभिमानी हो बाप को याद करो तब विकर्म विनाश हों ।


धारणा के लिए मुख्य सार:-
1इस आसुरी छी-छी दुनिया से अपनी आँखें बन्द कर लेनी है । यह पुरानी दुनिया हैइससे कोई कनेक्शन नहीं रखना हैइसे देखते हुए भी नहीं देखना है ।
2. इस बेहद ड्रामा में हम पार्टधारी हैंयह सेकेण्ड बाय सेकेण्ड रिपीट होता रहता हैजो पास्ट हुआ वह फिर रिपीट होगा... यह स्मृति में रख हर बात में पास होना है । विशालबुद्धि बनना है ।


वरदान:- फरिश्तेपन की स्थिति द्वारा बाप के स्नेह का रिटर्न देने वाले समाधान स्वरूप भव !

फरिश्ते पन की स्थिति में स्थित होना-यही बाप के स्नेह का रिटर्न हैऐसा रिटर्न देने वाले समाधान स्वरूप बन जाते हैं । समाधान स्वरूप बनने से स्वयं की वा अन्य आत्माओं की समस्यायें स्वत : समाप्त हो जाती हैं । तो अब ऐसी सेवा करने का समय हैलेने के साथ देने का समय है इसलिए अब बाप समान उपकारी बनपुकार सुनकर अपने फरिश्ते रूप द्वारा उन आत्माओं के पास पहुंच जाओ और समस्याओं से थकी हुई आत्माओं की थकावट उतारो ।


स्लोगन:-  व्यर्थ से बेपरवाह बनोमर्यादाओं में नहीं ।