Sunday, February 22, 2015

मुरली 23 फरवरी 2015

“मीठे बच्चे - इस शरीर रूपी कपड़े को यहां ही छोड़ना है, इसलिए इससे ममत्व मिटा दो, कोई भी मित्र-सम्बन्धी याद न आये” प्रश्न:- जिन बच्चों में योगबल है, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- उन्हें किसी भी बात में थोड़ा भी धक्का नहीं आयेगा, कहाँ भी लगाव नहीं होगा । समझो आज किसी ने शरीर छोड़ा तो दु:ख नहीं हो सकता, क्योंकि जानते हैं इनका ड्रामा में इतना ही पार्ट था । आत्मा एक शरीर छोड़ जाए दूसरा शरीर लेगी । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. अपनी चाल चलन बहुत रॉयल रखनी है । बहुत फज़ीलत से बातचीत करनी है । नम्रता का गुण धारण करना है । 2. इन आँखों से जो कुछ दिखाई देता है - यह सब कब्रदाखिल होना है इसलिए इसको देखते भी नहीं देखना है । एक शिवबाबा को ही याद करना है । किसी देहधारी को नहीं । वरदान:- संगमयुग के महत्व को जान एक का अनगिनत बार रिटर्न प्राप्त करने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न भव ! संगमयुग पर बापदादा का वायदा है-एक दो लाख लो । जैसे सर्व श्रेष्ठ समय, सर्व श्रेष्ठ जन्म, सर्व श्रेष्ठ टाइटल इस समय के हैं वैसे सर्व प्राप्तियों का अनुभव अभी ही होता है । अभी एक का सिर्फ लाख गुणा नहीं मिलता लेकिन जब चाहो जैसे चाहो, जो चाहो बाप सर्वेंट रूप में बांधे हुए हैं । एक का अनगिनत बार रिटर्न मिल जाता है क्योंकि वर्तमान समय वरदाता ही आपका है । जब बीज आपके हाथ में है तो बीज द्वारा जो चाहो वह सेकण्ड में लेकर सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बन सकते हो । स्लोगन:- कैसी भी परिस्थिति हो, परिस्थिति चली जाए लेकिन खुशी नहीं जाए । ओम् शांति