Monday, February 9, 2015

मुरली 10 फरवरी 2015

“मीठे बच्चे - पुरानी दुनिया के कांटों को नई दुनिया के फूल बनाना - यह तुम होशियार मालियों का काम है |”    प्रश्न:-     संगमयुग पर तुम बच्चे कौन-सी श्रेष्ठ तकदीर बनाते हो? उत्तर:- कांटे से खुशबूदार फूल बनना - यह है सबसे श्रेष्ठ तकदीर । अगर एक भी कोई विकार है तो कांटा है । जब कांटे से फूल बनो तब सतोप्रधान देवी-देवता बनो । तुम बच्चे अभी 21 पीढ़ी के लिए अपनी सूर्यवंशी तकदीर बनाने आये हो । गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ ..  धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. बाप जो ज्ञान का खजाना दे रहे हैं, उसको लेने के लिए दौड़- दौड़ कर आना है, इसमें किसी भी प्रकार का बहाना नहीं देना है । बाप की याद में 10 माइल भी पैदल चलने से थकावट नहीं होगी। 2. विजय माला में आने का आधार पढ़ाई है । पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है । काँटों को फुल बनाने की सेवा करनी है । स्वीट होम और स्वीट राजाई को याद करना है । वरदान:- कड़े नियम और दृढ़ संकल्प द्वारा अलबेलेपन को समाप्त करने वाले ब्रह्मा बाप समान अथक भव !  ब्रह्मा बाप समान अथक बनने के लिए अलबेलेपन को समाप्त करो । इसके लिए कोई कड़ा नियम बनाओ । दृढ़ संकल्प करो,अटेंशन रूपी चौकीदार सदा अलर्ट रहें तो अलबेलापन समाप्त हो जायेगा । पहले स्व के ऊपर मेहनत करो फिर सेवा में, तब धरनी परिवर्तन होगी । अभी सिर्फ ''कर लेंगे, हो जायेगा'’ इस आराम के संकल्पों के डंलप को छोड़ो | करना ही है, यह स्लोगन मस्तक में याद रहे तो पारवर्तन हो जायेगा । स्लोगन:-  समर्थ बोल की निशानी है-जिस बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना हो | ओम् शांति |