Wednesday, February 18, 2015
मुरली 19 फरवरी 2015
“मीठे बच्चे - बाप तुम्हें दैवी धर्म और श्रेष्ठ कर्म सिखलाते हैं इसलिए तुमसे कोई भी आसुरी कर्म नहीं होने चाहिए, बुद्धि बहुत शुद्ध चाहिए”
प्रश्न:-
देह- अभिमान में आने से पहला पाप कौन- सा होता है?
उत्तर:-
अगर देह- अभिमान है तो बाप की याद के बजाए देहधारी की याद आयेगी, कुदृष्टि जाती रहेगी, खराब ख्यालात आयेंगे । यह बहुत बड़ा पाप है । समझना चाहिए, माया वार कर रही है । फौरन सावधान हो जाना चाहिए ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. कभी भी ऐसी हंसी-मजाक नहीं करनी है जिसमें विकारों की वायु हो । अपने को बहुत सावधान रखना है, मुख से कटुवचन नहीं निकालने हैं ।
2. आत्म- अभिमानी बनने की बहुत-बहुत प्रैक्टिस करनी है । सबसे प्यार से चलना है । कुदृष्टि नहीं रखनी है । कुदृष्टि जाए तो अपने आपको आपेही सजा देनी है ।
वरदान:-
सर्व शक्तियों की लाइट द्वारा आत्माओं को रास्ता दिखाने वाले चैतन्य लाइट हाउस भव !
यदि सदा इस स्मृति में रहो कि मैं आत्मा विश्व कल्याण की सेवा के लिए परमधाम से अवतरित हुई हूँ तो जो भी संकल्प करेंगे, बोल बोलेंगे उसमें विश्व कल्याण समाया हुआ होगा । और यही स्मृति लाइट हाउस का कार्य करेगी । जैसे उस लाइट हाउस से एक रंग की लाइट निकलती है ऐसे आप चैतन्य लाइट हाउस द्वारा सर्व शक्तियों की लाइट आत्माओं को हर कदम में रास्ता दिखाने का कार्य करती रहेगी ।
स्लोगन:-
स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति रूप बनो तो राजधानी में नम्बर आगे मिल जायेगा ।
ओम् शांति